Friday, March 29, 2024
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PFI नेताओं के 26 ठिकानों पर ED की छापेमारी: दंगों-अराजक गतिविधियों की फंडिंग के मामले में चला अभियान

पीएफ़आई और एसडीपीआई अपनी अराजक गतिविधियों, आपराधिक कृत्यों, जबरन धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों की वजह से संदेह और जाँच के दायरे में रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ईडी ने 9 राज्यों के कुल 26 ठिकानों पर छापेमारी का अभियान चलाया।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) के नेशनल एग्जीक्यूटिव काउंसिल मेम्बर करमना अशरफ मौलवी के तिरुअनंतपुरम स्थित पूंथुरा आवास पर छापा मारा। ईडी ने साल 2018 के दौरान पीएफ़आई के कई सदस्यों पर धन शोधन निरोधक अधिनियम (मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट) के तहत मामला दर्ज किया था। इस संबंध में ईडी ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया है। इसके अलावा कोज़ीकोड़े, मल्लापुरम और एर्नाकुलम स्थित पीएफ़आई नेताओं के आवासों पर भी छापा मारा गया। 

सिर्फ यही नहीं बल्कि प्रवर्तन निदेशालय ने सिंहवाड़ा थाना क्षेत्र के अंतर्गत शंकरपुर में पीएफ़आई के जनरल सेक्रेटरी मोहम्मद सनाउल्लाह के घर छापा मारा। यह छापा सीएए और एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के दौरान फंडिंग को लेकर मारा गया था। फ़िलहाल ईडी इस संबंध में पीएफ़आई के अन्य सदस्यों से पूछताछ कर रही है, छापेमारी के दौरान ईडी को क्या हासिल हुआ इस बात की जानकारी सामने नहीं आई है। ईडी की कार्रवाई के दौरान सनाउल्लाह अपने आवास पर नहीं मौजूद थे।   

बता दें कि पीएफ़आई और एसडीपीआई अपनी अराजक गतिविधियों, आपराधिक कृत्यों, जबरन धर्मांतरण और देश विरोधी गतिविधियों की वजह से संदेह और जाँच के दायरे में रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ईडी ने 9 राज्यों के कुल 26 ठिकानों पर छापेमारी का अभियान चलाया। 

सीएए विरोध प्रदर्शन में पीएफ़आई की भूमिका संदिग्ध

पिछले साल दिसंबर महीने के दौरान हुए सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में पीएफ़आई पर फंडिंग उपलब्ध कराने और दंगा भड़काने का आरोप लगा था। इस साल के जनवरी महीने में केंद्रीय जाँच एजेंसी ने इस संबंध में कई दस्तावेज़ भी पेश किए थे जिसमें पीएफ़आई के खातों और प्रदर्शनकारियों के खातों के बीच लेन-देन की पूरी जानकारी मौजूद थी।

दस्तावेज़ में यह लिखा था, “4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के बीच कुल 15 खातों में (10 पीएफ़आई और 5 रेहब इंडिया फाउंडेशन) 1.04 करोड़ रुपए डाले गए थे। इन खातों में पूरी राशि नगद ही डाली गई थी और यह 5 हज़ार से 49 हज़ार के बीच थी। डिपाजिट की जाने वाली को 50 हज़ार से नीचे इसलिए रखा गया था जिससे जमा करने वाले व्यक्ति की पहचान सामने नहीं आए। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दस्तावेज़ में यह लिखा हुआ था कि 4 दिसंबर 2019 से 6 जनवरी 2020 के बीच 15 खातों में से 1.34 करोड़ रुपए नगद NEFT/IMPS के माध्यम से निकाले गए थे। 

वहीं 12 से 21 दिसंबर के बीच उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन हुए थे और इसी बीच एक ही खाते से कुल 90 विदड्राल (निकासी) हुए थे। उस दस्तावेज़ के अगले हिस्से में लिखा था कि रुपए के लेन देन से इतना साफ़ है कि सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन में पीएफ़आई ने आर्थिक भूमिका निभाई है। फ़िलहाल इस पूरे प्रकरण में ईडी की तरफ से जाँच अभियान जारी है। 

पीएफ़आई ने नकारे सारे आरोप 

हालाँकि, इन सभी आरोपों पर पीएफ़आई का साफ़ कहना है कि सभी आरोप निराधार हैं। पीएफ़आई के तमाम लोगों पर दिल्ली दंगों के संबंध में भी जाँच जारी है। हाल ही में पीएफ़आई के 4 सदस्य (केरल का सिद्दीकी कप्पन) को हाथरस प्रकरण में जातीय उन्माद भड़काने के आरोप में यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। पीएफ़आई पर केरल में तमाम तरह के कैम्प चलाने का भी आरोप है। इसकी स्थापना साल 2006 के दौरान केरल में हुई थी।                       

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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