भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन के उस दावों को ख़ारिज कर दिया है, जिसमें भारतीय सेना पर अनर्गल आरोप लगाए गए थे। चीन ने शुक्रवार (जून 19, 2020) को बयान जारी कर भारत पर आरोप लगाए थे। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि गलवान घाटी को लेकर स्थिति ऐतिहासिक रूप से स्पष्ट है और चीन द्वारा इसके साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत ने कहा है कि न तो चीन का दावा समर्थन के लायक है और न ही ये इतिहास के अनुरूप है, इसीलिए भारत इसका विरोध करता है। विदेश मंत्रालय ने खुलासा किया कि मई के शुरुआत से चीनी सेना लगातार व्यवधान पैदा कर रही है और इलाक़े में तनाव भड़काने में लगी हुई है। साथ ही ये भी स्पष्ट कर दिया गया है कि भारत ने उस क्षेत्र में जितने भी निर्माण-कार्य किए हैं, वो सभी LAC के भारतीय सीमा के अंतर्गत हुए हैं।
विदेश मंत्रालय ने दोहराया कि मई के ही मध्य में चीनी सेना ने वेस्टर्न सेक्टर में घुसपैठ का प्रयास किया, जिसका उसे जवाब दिया गया। बताया गया है कि 6 जून को दोनों पक्षों के बीच बैठक कर के तनाव कम करने के लिए समझौता भी कर लिया गया था लेकिन चीनी बाज नहीं आए और उन्होंने अवैध रूप से निर्माण कार्य जारी रखा, इस पर भारतीय पक्ष ने आपत्ति जताई और हिंसा व क्षति का कारण भी वही बना।
Since early May 2020, Chinese have been hindering India’s normal patrolling pattern in the area. This resulted in face-off which was addressed by ground commanders. We don’t accept the contention that India was unilaterally changing status quo, we were maintaining it: MEA pic.twitter.com/MMMUI4xkOo
— ANI (@ANI) June 20, 2020
हालाँकि, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष को फोन कर के 15 जून को ही बता दिया था कि हालिया तनाव के लिए चीन जिम्मेदार है और उसे सीमा पर अपनी गतिविधियों की समीक्षा करनी चाहिए। दोनों विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति भी जताई गई थी कि इस मामले को जिम्मेदारी के साथ सुलझाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चीन को चेताया है और कहा कि भारत अपनी जमीन की रक्षा करने में सक्षम है।
पीएमओ ने भी इस मुद्दे पर कहा था कि जिन्होंने भारतीय सरजमीं में घुसने की कोशिश की, उन्हें भारत माता के वीर सपूतों ने करारा जवाब दिया। साथ ही उन्होंने आश्वस्त किया कि हमारे जवान हमारी सीमाओं की रक्षा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। पीएमओ ने कहा है कि भारतीय क्षेत्र की क्या परिभाषा है, ये आधिकारिक नक़्शे से तय होता है। पिछले 60 साल में किस तरह से देश की 43,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन के कब्जे में चली गई, इस बारे में भी सभी दलों को बताया गया।