Saturday, April 20, 2024
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‘बाबरी का बदला लिया जाएगा, CAA पर हम भारतीय मुस्लिमों के साथ’: ISIS की खतरनाक साजिश का खुलासा

आतंकी संगठन ने लिखा है कि वो 'नागरिकता संशोधन क़ानून' के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में भारतीय मुस्लिमों के साथ खड़ा है। मुस्लिमों को सलाह दी गई है कि वो भारत सरकार के खिलाफ 'जिहाद' का रास्ता चुनें। साथ ही धमाकाया गया है कि जिन्हें ISIS के वसूलों पर यकीन नहीं, उन्हें मौत की सज़ा दी जाएगी।

खूँखार वैश्विक आतंकी संगठन ISIS ने अब भारत की तरफ अपनी नजरें गड़ाने की प्रक्रिया तेज कर दी है। अब उसने भारत के मुस्लिमों को बरगलाने की कोशिश शुरू कर दी है, जिसके तहत उन्हें हथियार उठाने के लिए भड़काया जा रहा है। साथ ही भारत के मुस्लिमों को बाबरी मस्जिद का विध्वंस भी याद दिलाया जा रहा है। राम मंदिर के निर्माण को लेकर खासकर मुस्लिम युवकों के मन में जहर भरा जा रहा है।

ये खुलासा ‘आजतक’ ने ISIS की डिजिटल मैगजीन के हवाले से किया है, जिससे इस आतंकी संगठन के भारत को लेकर खतरनाक इरादों की भनक लगती है। ‘वॉइस ऑफ इंडिया’ नामक इस मैगजीन के नौवें एडिशन में ये बातें कही गई हैं। इसमें बाबरी विध्वंस की तस्वीरों को दिखाते हुए मुस्लिमों को हथियार उठाने को कहा गया है। इसमें लिखा गया है कि अयोध्या में हुए बाबरी विध्वंस का का बदला लिया जाएगा।

साथ ही CAA के बहाने भारत को तोड़ने की साजिश में ISIS भी शामिल था, ऐसा इस मैगनीज में लिखी बातों से पता चलता है। आतंकी संगठन ने लिखा है कि वो ‘नागरिकता संशोधन क़ानून’ के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों में भारतीय मुस्लिमों के साथ खड़ा है। मुस्लिमों को सलाह दी गई है कि वो भारत सरकार के खिलाफ ‘जिहाद’ का रास्ता चुनें। साथ ही धमाकाया गया है कि जिन्हें ISIS के वसूलों पर यकीन नहीं, उन्हें मौत की सज़ा दी जाएगी।

मैगजीन में दावा किया गया है कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक ऐसा कारण है, जिसके लिए इस्लामिक स्टेट के लड़ाके लड़ाई लड़ेंगे। बाबरी मस्जिद मामले में सभी आरोपितों के बरी होने के फैसले पर सवाल उठाते हुए मुस्लिमों से पूछा गया है, “क्या तुम हिंदुस्तान की अदालत का फैसला स्वीकार कर लोगे?” उसने लिखा है कि सरकार मुस्लिमों को बरगलाने की कोशिश कर रही है। इससे पहले भारत में ISIS की मैगजीन छपने वाले लोगों की गिरफ़्तारी भी हो चुकी है।

बता दें कि सितम्बर 30, 2020 को अयोध्या के बाबरी ध्वंस मामले में सीबीआई के स्पेशल जज एसके यादव ने 2000 पन्नों का जजमेंट (फैसला) दिया था। इस मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि अयोध्या में बाबरी ध्वंस साजिशन नहीं हुआ, ये पूर्व-नियोजित नहीं था। इसे संगठन ने रोकने की भी कोशिश की, लेकिन घटना अचानक घट गई। 28 वर्षों में ये पहली बार हुआ, जब अयोध्या बाबरी मस्जिद ध्वंस मामले में किसी अदालत ने फैसला सुनाया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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