एक इस्लामिक संगठन है, नाम है – पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया। PFI के शॉर्ट नामकरण से ज्यादा कुख्यात है। यह अतीत में इस्लामिक चरमपंथ के कई मामलों में उलझा रहा है। यह वही संगठन है, जो भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की मेजबानी कर चुका है। अब इसी PFI ने एक प्रेस नोट जारी करके केंद्र सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) का विरोध किया है। सरकार के इस विधेयक का मक़सद पड़ोसी इस्लामिक राष्ट्रों के हिन्दुओं, बौद्धों, सिखों, ईसाइयों मतलब वहाँ के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना है। हैरान करने लायक बात यह है कि अपने प्रेस नोट में, PFI ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) पर भारत के अधिकार को भी नकार दिया है। मतलब एक ऐसा संगठन, जो भारत में है, जिसके लोग भी भारत में रहते हैं, यहीं खाते-कमाते हैं लेकिन POK को पाकिस्तान का बताते हैं… दिलचस्प है यह!
PFI ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ‘असंवैधानिक’, ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘विवादास्पद’ करार दिया। PFI का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश से हिन्दुओं, ईसाइयों, सिखों, पारसियों और जैनियों को नागरिकता प्रदान करने संबंधी है, लेकिन भाजपा सरकार ने मजहब विशेष को सूची से बाहर कर अपना ‘सांप्रदायिक रंग’ दिखाया है। इसके अलावा, प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भाजपा सरकार का दावा है कि पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जानी चाहिए, लेकिन सरकार ने रोहिंग्याओं को नागरिकता देने से इनकार कर दिया है।
PFI की प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों के ख़िलाफ़ गई है, लेकिन इस बात पर ग़ौर नहीं किया गया कि इस विधेयक का संबंध शरणार्थियों को नागरिकता देने से है न कि भारत के मौजूदा नागरिकों से संबंधित है।
ग़ौर करने वाली बात यह है कि PFI की प्रेस विज्ञप्ति में ऐसा लगता है जैसे कि PFI ने पाक अधिकृत कश्मीर को पाकिस्तान को दे दिया हो।
रोहिंग्याओं को नागरिकता देने के लिए भारत की वक़ालत करते हुए PFI का कहना है कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीमा साझा नहीं करता है, लेकिन, म्यांमार के साथ करता है। यह बयान देकर, PFI ने अनिवार्य रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारत के अधिकार को बड़ी चालाकी के साथ, शब्दों से खेलते हुए खत्म कर दिया।
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाए जाने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर घोषित किए जाने के बाद अगर कोई भारत के वर्तमान नक्शे को देखे तो यह स्पष्ट दिखाई देगा कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है, क्योंकि गिलगित बाल्टिस्तान भारत का ही एक हिस्सा है।
इस नक्शे में, कोई भी यह स्पष्ट रूप से देख सकता है कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के शीर्ष भाग में गिलगित बाल्टिस्तान शामिल है, जो पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर लिया गया है। और इस तरह अफगानिस्तान और भारत एक-दूसरे के साथ सीमा साझा करते हैं।
इसके अलावा, अगर हम जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले के नक्शे को देखें, तो उसमें भी भारत-अफ़ग़ानिस्तान सीमा साझा करते दिख जाएँगे। इस तथ्य को केवल इसलिए नहीं बदला जा सकता, क्योंकि पाकिस्तान ने उस भूमि पर अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर रखा है। हर भारतीय को भारत के नजरिए से बने वैध नक्शे को देखने की जरूरत है न कि पाकिस्तान-चीन के प्रोपेगेंडा वाले नक्शे को ध्यान में रख कर राजनीति करने को!
कोई भी यह देख सकता है कि पाक अधिकृत कश्मीर अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है और चूँकि POK भारतीय क्षेत्र है, जिस पर पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से क़ब्ज़ा कर लिया गया है। ऐसे में स्पष्ट है कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीमा साझा करता है।
लेकिन PFI जैसे इस्लामिक संगठन को यह नहीं भूलना चाहिए कि अब वो 2014 से पहले समय-काल में नहीं हैं। अब उनके प्रोपेगेंडा को पढ़ा भी जाएगा, उसका काटा भी जाएगा, उनके खिलाफ लिखा भी जाएगा। और यही हुआ भी। PFI के इस भारत विरोधी पोस्ट, ट्वीट और प्रेस रिलीज पर जैसे ही ऑपइंडिया ने रिपोर्ट की, उसके बाद इस इस्लामिक संगठन ने अपना ट्वीट डिलीट कर लिया, प्रेस रिलीज को संशोधित कर सबको दोबारा से मेल भेजा।
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