लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) अनिल चौहान को मोदी सरकार ने देश का नया CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) नियुक्त किया गया। वो दिवंगत जनरल बिपिन रावत की जगह लेंगे। अनिल चौहान ‘डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGOML)’ के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। जब वो रिटायर हुए, उस वक्त वो भारतीय सेना के ईस्टर्न कमांड में ‘जनरल ऑफिसर कमांडर इन चीफ (GOC-in-C)’ थे। इस पद को ईस्टर्न कमांडर भी कहा जाता है।
सेना के दो सबसे संवेदनशील कमांडों में एक ईस्टर्न आर्मी और एक नॉर्थर्न आर्मी है। अनिल चौहान 31 मई, 2021 को अपने पद से रिटायर हुए थे। उस समय उनकी उम्र 60 वर्ष थी। वरिष्ठता के मामले में वो तीनों सेनाओं के अध्यक्षों से सीनियर हैं। इसीलिए, उन्हें CDS बनाने में सीनियोरिटी की भी कोई दिक्कत नहीं आई। रिटायर होने के बाद से वो ‘नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल’ के सदस्य के रूप में काम कर रहे थे। NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) अजीत डोभाल से उनके अच्छे संबंध हैं।
BREAKING: Lt Gen Anil Chauhan (Retd) appointed India’s new Chief of Defence Staff (CDS). pic.twitter.com/pI0dyKKEqe
— Shiv Aroor (@ShivAroor) September 28, 2022
वह भारत सरकार के सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। उनके पास जम्मू कश्मीर के अलावा उत्तर-पूर्वी राज्यों में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन्स का अच्छा अनुभव है। खास बात ये भी है कि दिवंगत बिपिन रावत की तरह ही अनिल चौहान भी उत्तराखंड से ही ताल्लुक रखते हैं। पूर्व सैन्य अधिकारी केजेएस ढिल्लों ने कहा है कि अनिल चौहान एक शानदार मिलिट्री प्रोफेशनल हैं और एक उम्दा व्यक्तित्व भी हैं।
अनिल चौहान की पढ़ाई-लिखाई पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित केंद्रीय विद्यालय से हुई है। 1981 में उन्हें ’11 गोरखा राइफल्स’ में एंट्री मिली थी। महाराष्ट्र के खडकवासला स्थित NDA (राष्ट्रीय रक्षा एकेडमी) का भी वो हिस्सा रहे हैं। साथ ही उन्होंने देहरादून स्थित मिलिट्री एकेडमी से भी प्रशिक्षण लिया। दक्षिण-पश्चिमी अफ्रीका के अंगोला में यूएन के मिशन का भी वो हिस्सा रहे। उन्हें 2020 में ‘परम वसिष्ट सेना मेडल’ और 2018 में ‘उत्तम युद्ध सेवा मेडल’ प्रदान किया गया था।