Saturday, September 14, 2024
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ऐसे ही नहीं भारत में घुसकर बस जाते हैं बांग्लादेशी… जिस नजीबुल ‘टोपी वाला’ को ATS ने दबोचा उसे क्लीनचिट दे चुका था देवबंद का इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन

UP ATS की इस FIR में बताया गया था कि देवबंद दारुल उलूम के सामने परफ्यूम और टोपी बेचने वाला नजीबुल शेख भारत विरोधी कार्यों में फंडिंग कर रहा है। इन कार्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का फर्जी भारतीय पहचान पत्र बनवाना प्रमुख था। नजीबुल शेख द्वारा भारत में बसाए गए लगभग आधे दर्जन घुसपैठियों का जिक्र ATS की FIR में है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने 11 अक्टूबर, 2023 को भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ करवाने में मदद कर रहे एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था। इस दौरान पुलिस ने आदिल उर रहमान अशर्फी, नजीबुल शेख और अबू हुरैरा को गिरफ्तार किया था। इसमें आदिल उर रहमान बांग्लादेशी घुसपैठिया था जो फर्जी पहचान पत्र बनवा कर भारत में रह रहा था। नजीबुल शेख और अबू हुरैरा पश्चिम बंगाल के निवासी थी जो फिलहाल देवबंद में ही रह रहे थे। नजीबुल पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को भारत में शरण देने, उनके पहचान पत्र बनवाने और उनके लिए पैसे जुटाने में मदद करने का आरोप है।

खास बात यह है कि इस गिरफ्तारी से पहले नजीबुल शेख का नाम पहले भी 2 बार प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से UP ATS ने अपनी कार्रवाई में लिया था लेकिन दोनों बार उसको सहारनपुर पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया था। ऑपइंडिया ने इस मामले की जमीनी पड़ताल की तो पता चला कि पूर्व में दर्ज जिन केसों में नजीबुल शेख गिरफ्तारी से बच गया था उसकी जाँच इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन ने की थी। तब इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन देवबंद थाना कोतवाली में इंस्पेक्टर क्राइम के पद पर तैनात थे।

क्या हैं नजीबुल पर आरोप

UP ATS की इस FIR में बताया गया था कि देवबंद दारुल उलूम के सामने परफ्यूम और टोपी बेचने वाला नजीबुल शेख भारत विरोधी कार्यों में फंडिंग कर रहा है। इन कार्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों का फर्जी भारतीय पहचान पत्र बनवाना प्रमुख था। नजीबुल शेख द्वारा भारत में बसाए गए लगभग आधे दर्जन घुसपैठियों का जिक्र ATS की FIR में है। देश विरोधी कार्यों को करने के लिए नजीबुल शेख को हवाला से पैसे भी मिले थे। किस रोहिंग्या या बांग्लादेशी को कौन से शहर में बसाना है यह भी नजीबुल अपने आकाओं के साथ मिल कर तय करता था।

तब ATS ने नजीबुल और उसके अन्य साथियों पर पर विदेशी अधिनियम के अलावा भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 370, 471, 467, 468, 419, 420 और 120 बी के तहत FIR दर्ज की थी। पिछले लगभग 10 महीनों से नजीबुल जेल में है। ATS द्वारा पेश किए गए सबूतों की वजह से उसकी जमानत अर्जी हाईकोर्ट से ख़ारिज हो चुकी है।

दारुल उलूम के मदरसे में पढ़ा, फिर शिफ्ट हुआ देवबंद

ऑपइंडिया ने नजीबुल के बारे में जानकारियाँ जुटाईं। वह मूल रूप से पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का निवासी है। नजीबुल के अब्बा का नाम शेख अब्दुल कातिर है। नजीबुल की पढ़ाई पश्चिम बंगाल के हरोआ स्थित एक मदरसे से हुई थी। यह मदरसा देवबंद से कनेक्टेड है। इस मदरसे का संचालन अबू सालेह करता था जिसे UP ATS ने जनवरी 2024 में टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार किया है। सालेह पर आतंकी फंडिंग के लिए कुख्यात ब्रिटेन की उम्माह वेलफेयर ट्रस्ट से करोड़ों रुपए लेने का आरोप है।

अबू सालेह के मदरसे में पढ़ते हुए नजीबुल शेख देवबंद दारुल उलूम से जुड़े कई लोगों के सम्पर्क में आया। उसका देवबंद में आना-जाना भी हो गया। माना जाता है कि पूरी तरह से सोची-समझी साजिश के तहत शेख नजीबुल पश्चिम बंगाल के मदरसे की पढ़ाई कर के देवबंद में शिफ्ट हो गया था। यहाँ उसने दारुल उलूम के ठीक सामने सेंट और टोपी की दुकान खोल ली। इस दुकान पर दारुल उलूम देवबंद में पढ़ने वाले दुनिया भर के छात्र खरीदारी के लिए आने लगे। शेख नजीबुल इन सबमें अपने काम के लोग तलाशने लगा।

दुकान बस नाम की, असल धंधा हवाला का

ऑपइंडिया द्वारा जुटाई गई जानकारी के मुताबिक, नजीबुल शेख की सेंट और इस्लामी टोपी की दुकान केवल नाम भर के लिए थी। उसके पास विदेशों से हवाला का पैसा आने लगा। इसमें सबसे ज्यादा पैसे बांग्लादेश से आए। इन पैसों का उपयोग नजीबुल भारत में घुसपैठ कर के आए बांग्लादेशियों के पहचान पत्र और अन्य कागजात बनाने में करता था। नजीबुल ने कई घुसपैठियों को देवबंद व आसपास रहने की भी व्यवस्था करवाई थी। उसके खाते में कई संदिग्ध लेन-देन भी पाए गए हैं।

ATS का यह भी आरोप है कि हवाला से मिले पैसों से भारत में अवैध मस्जिदें बनवाने का भी काम हो रहा था। पैसों के इस लेन-देन में अब्दुल्ला गाजी, अब्दुल अव्वल और गफ्फार का नाम भी सामने आया था। साथ ही देवबंद के तार दिल्ली से भी जुड़े पाए गए थे। नजीबुल के साथ गिरफ्तार हुए आदिल उर रहमान ने भी पूछताछ में कई खुलासे किए थे। उसने बताया कि उसके भी फर्जी पहचान पत्र बनवाने में नजीबुल ने बड़ा रोल अदा किया था। नजीबुल का एक भाई सीमा सुरक्षा बल (BSF) में भी तैनात बताया जा रहा है।

इसकी टोपी उसके सर

यहाँ ये गौर करने योग्य है कि जो टोपियाँ नजीबुल अपनी दुकान में बेचता था वो ज्यादातर बांग्लादेश में बनी होती थी। इन्ही टोपियों को खरीदने के नाम पर नजीबुल बांग्लादेश में पैसे का लेन-देन करता था। बांग्लादेश में मौजूद घुसपैठियों के रिश्तेदार और परिजन टोपी के थोक विक्रेता को वहीं पर पैसे दे दिया करते थे। उन पैसों के बदले वहाँ से टोपियाँ देवबंद में नजीबुल की दुकान पर आ जाती थीं। इन्हीं टोपियों को फिक्स जगह बेच कर नजीबुल यहाँ मौजूद घुसपैठियों को पैसे बाँट देता था।

2022 में ही पकड़ा जाता नजीबुल, अगर इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन ने न दी होती क्लीन चिट

जिस नजीबुल को UP ATS ने अक्टूबर 2023 में जेल भेजा उसे साल 2022 में ही गिरफ्तार कर लिया गया होता लेकिन तब सहारनपुर पुलिस के थाना देवबंद की जाँच में उसका नाम निकाल दिया गया था। ये बात है 28 अप्रैल, 2022 की। तब UP ATS के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार उज्ज्वल ने सहारनपुर जिले के थाना देवबंद में एक FIR दर्ज करवाई थी। इस FIR में उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ का एक बड़ा नेटवर्क ध्वस्त किया था। तब उन्होंने अपनी FIR में स्पष्ट रूप से दारुल उलूम देवबंद के आगे सेंट और टोपी बेचने वाले दुकानदार का जिक्र किया था।

FIR में दुकान का बाकायदा पता भी मेन रशीदिया मार्किट लिखा हुआ था। सुधीर कुमार उज्ज्वल की इस FIR में बताया गया था कि दारुल उलूम देवबंद के आगे सेंट टोपी बेचने वाला दुकानदार बांग्लादेशी घुसपैठियों से कनेक्टेड है। तब इसकी जाँच देवबंद में तैनात रहे इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन ने की थी। सिराजुद्दीन ने अपनी जाँच रिपोर्ट में सेंट और टोपी वाले दुकानदार के खिलाफ सबूत नहीं पाने का जिक्र किया। उन्होंने कोर्ट में चार्जशीट भी लगा दी। इस चार्जशीट से नजीबुल का हौसला और बढ़ गया। हालाँकि, वो अपने आपराधिक कार्यों को और सतर्कता से करने लगा था।

दूसरी FIR में भी साफ़ बच गया था नजीबुल

इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन की जाँच रिपोर्ट में पहली बार बच निकलने के बाद दूसरी बार नजीबुल फिर उसी देवबंद थाने से फँसते-फँसते बचा। तब 19 जुलाई 2024 को UP ATS के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार उज्ज्वल ने एक और FIR दर्ज करवाई थी। इस FIR में उन्होंने 2 बांग्लादेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार किया था जिनके नाम हबीबुल्लाह और अहमदुल्लाह हैं। इन दोनों के पास फर्जी कागजातों से बनवाए गए भारतीय पहचान पत्र और मोबाइल सिम बरामद हुए थे।

बताया जा रहा है कि हबीबुल्लाह नामक घुसपैठिए के सेंट और टोपी की दुकान लगाने वाले नजीबुल से संबंध थे। इस केस की भी जाँच देवबंद थाने में तैनात रहे इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन को दी गई थी। हालाँकि इंस्पेक्टर सिराजुद्दीन लगातार दूसरी बार इस पूरे मामले में नजीबुल शेख की भूमिका तलाशने में असफल रहे थे। इसी वजह से एक ही विवेचक द्वारा की गई लगातार 2 जाँचों के बावजूद नजीबुल बचता रहा। ये तब का मामला है जब UP ATS का अपना खुद का थाना नहीं था। तब ATS को जाँच व अन्य कार्र्रवाई के लिए उस थानाक्षेत्र पर निर्भर रहना पड़ता था जहाँ घटनास्थल होता था।

ATS का खुला अपना थाना तो दबोच लिया गया नजीबुल शेख

देवबंद कोतवाली में दर्ज हुए 2 अलग-अलग मुकदमों में बच जाने के बाद नजीबुल काफी हद तक रिलेक्स हो गया था। इस बीच उत्तर प्रदेश ATS का अपना खुद का थाना लखनऊ में खुल गया। तब न सिर्फ FIR बल्कि जाँच का भी अधिकार ATS के पास आ गया। आखिरकार 11 अक्टूबर 2023 को UP ATS ने नजीबुल शेख को उसके साथी सहित दबोच लिया। नजीबुल शेख के खिलाफ ATS ने कोर्ट में कई सबूत पेश किए हैं। पिछले लगभग 10 महीनों से नजीबुल लखनऊ जेल में बंद है। उसकी जमानत अर्जी हाईकोर्ट से भी ख़ारिज हो चुकी है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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