दिल्ली पुलिस ने सोमवार को ‘टूलकिट’ मामले में बड़ा खुलासा किया है। दिल्ली पुलिस द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक़ भारत के विरुद्ध वैश्विक स्तर पर चलाए गए इस अभियान में एक विदेशी मूल के संदिग्ध एक्टिविस्ट का नाम सामने आ रहा है। ‘टूलकिट’ की आड़ में भारत के खिलाफ़ रचे गए अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र की जाँच में पीटर फ्रेडरिच (Pieter Friedrich) नाम के व्यक्ति की भूमिका सामने आई है।
#Live | The toolkit document is carefully crafted. @FriedrichPieter has been on the radars of Indian security establishments since late 2006: DCP (Special Cell), Delhi Police pic.twitter.com/5R5eHvS4Dx
— TIMES NOW (@TimesNow) February 15, 2021
पुलिस का कहना है कि भारत के रक्षा एजेंसियों को 2006 से ही पीटर फ्रेडरिच की तलाश है, जब यूपीए की सरकार सत्ता में थी। पीटर का नाम भजन सिंह भिंडर या इकबाल चौधरी की कंपनी में भी शामिल था और तभी से ही वह जाँच एजेंसियों के रडार पर था।
भजन सिंह भिंडर आईएसआई की K2 डेस्क का प्रबल समर्थक/प्रस्तावक था। पीटर के भिंडर से सम्पर्क में आने की सबसे बड़ी वजह थी – वो ‘इनफो वॉर ऑपरेशन’ (info war operation) चलाता था और खुफ़िया जानकारियों का लेन-देन करता था।
पुलिस के मुताबिक़ इस प्रकरण में शामिल सभी ने ‘टूलकिट’ पूरी सावधानी से बनाई है। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने इस मामले में एक और अहम बात कही, वो ये कि इस टूलकिट में प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों और फैक्ट चेकर्स का नाम भी शामिल है। इसमें सिर्फ मामले के आरोपित ही साबित कर पाएँगे कि क्यों टूलकिट में पीटर फ्रेडरिच का नाम मौजूद है। इसके पहले ग्रेटा थनबर्ग और दिशा रावी के बीच व्हाट्सएप चैट भी सामने आई थी।
स्वीडन की कथित जलवायु परिवर्तन ‘एक्टिविस्ट’ ग्रेटा ने सोशल मीडिया पर भारत विरोधी ‘टूलकिट’ साझा की थी। इसके बाद दिशा ने उससे कहा था, “क्या कुछ समय के लिए हम इस मुद्दे पर कोई बात नहीं करें। मैं इस पर वकीलों से बात करने जा रही हूँ।” रिपोर्ट्स के मुताबिक़ दिशा रावी और निकिता जैकब ने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के धलीवाल के साथ ऑनलाइन मीटिंग में हिस्सा लिया था, जिसने पहले ही खुद को ‘खालिस्तानी समर्थक’ बताया था।
मीटिंग में उन्होंने गणतंत्र दिवस के पहले ट्विटर पर प्रोपेगेंडा फैलाने और ‘स्टॉर्म’ (storm) लाने की योजना पर चर्चा की थी। जिसके बाद देश की राजधानी में तथाकथित ‘किसानों’ ने विरोध प्रदर्शन की आड़ में बड़े पैमाने पर हिंसा को अंजाम दिया। हमने पहले उन मीडिया संस्थानों और फैक्ट चेकर्स पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी कि जिनका नाम टूलकिट में शामिल है। ऑल्टन्यूज़ का ज़ुबैर उनमें से ही एक है। वहीं दिशा रावी फ़िलहाल पुलिस हिरासत में है।