जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने रविवार (1 अगस्त) को देशद्रोहियों और पत्थरबाजों पर नकेल कसने के लिए बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने आदेश दिया है कि पत्थरबाजों और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने वाले लोगों को ना तो सरकारी नौकरी दी जाएगी और न ही उनके पासपोर्ट का वेरिफिकेशन किया जाएगा। इससे राज्य और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले इन लोगों को विदेश जाने का मौका नहीं मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीआईडी की स्पेशल ब्रांच कश्मीर के एसएसपी ने अपने अधीनस्थ सभी अधिकारियों और कर्मियों को इस संबंध में सर्कुलर जारी किया है। सर्कुलर में उन्होंने कहा है कि पासपोर्ट, सरकारी नौकरी या सरकारी योजनाओं से जुड़े मामलों में किसी व्यक्ति की सिक्योरिटी क्लियरेंस की रिपोर्ट तैयार करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए। जैसे वो व्यक्ति पत्थरबाजी, कानून-व्यवस्था भंग करने या किसी दूसरे अपराध में शामिल न रहा हो। यदि वह ऐसी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे सिक्योरिटी क्लियरेंस न दिया जाए।
इसके साथ ही सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि ऐसे व्यक्तियों की पहचान के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन से भी रिपोर्ट ली जा सकती है। सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के पास भी ऐसे लोगों की सीसीटीवी फुटेज, तस्वीरें, वीडियो, ऑडियो और क्वाडकॉप्टर के जरिए ली गईं तस्वीरें रहती हैं, इसलिए उनकी भी मदद ली जाए।
गौरतलब है कि साल 2020 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने सीआईडी द्वारा चरित्र और पूर्ववृत्त के उचित सत्यापन की सिफारिश की थी, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर सिविल सेवा (चरित्र और पूर्ववृत्त सत्यापन) नियम, 1997 में एक संशोधन किया गया था। इसके तहत सरकारी नौकरी पाने के लिए सीआईडी रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई थी।
रिपोर्ट्स में बताया गया था कि लोगों को यह खुलासा करना अनिवार्य होगा कि उनके परिवार का कोई सदस्य या करीबी किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ा है। या फिर वह विदेशी मिशन, संगठन या जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी निर्धारित/प्रतिबंधित संगठन के साथ तो नहीं जुड़ा है।