Sunday, November 17, 2024
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‘कब्जा, प्रतिरोध’ – हमास स्टाइल अपना रहे पाकिस्तानी आतंकी, मजदूर मुकेश और SHO अहमद की हत्या को ठहरा रहे जायज, लेटर वायरल

भारत सरकार और सेना की लश्कर-ए-तैयबा तथा हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे इस्लामी आतंकी संगठनों पर सख्ती के बाद अब वे मुखौटे नामों से आतंकी गतिविधियाँ चला रहे हैं। TRF भी इसी तरह का एक इस्लामी आतंकी संगठन है। इसके अलावा PAFF (पीपल्स एंटी फासिस्ट फोर्सेस) नाम का एक इस्लामी आतंकी संगठन भी सामने आया है।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में उत्तर प्रदेश के एक गरीब मजदूर और श्रीनगर में एक पुलिस अफसर मसरूर अहमद पर हमले की जिम्मेदारी इस्लामी आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटे समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF)’ ने ली है। सोशल मीडिया पर TRF के बयान की एक फोटो वायरल हो रही है। TRF ने इसमें इस्लामी आतंकी समूह हमास जैसी भाषा अपनाई है।

TRF के आतंकियों ने 30 अक्टूबर 2023 को उत्तर प्रदेश के मजदूर मुकेश को पुलवामा के नौपोरा इलाके में मार दिया था। उस पर आतंकियों ने उस दौरान हमला किया था, जब वह सब्जी लेने जा रहा था। इससे पहले 29 अक्टूबर को श्रीनगर के ईदगाह के पास मैदान में क्रिकेट खेल रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के अफसर मसरूर अहमद पर पिस्टल से फायरिंग की गई थी।

अब इस्लामी आतंकी समूह TRF ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए एक बयान जारी किया है। TRF ने इस बयान में भारत सरकार को कश्मीर पर कब्जा करने वाली फ़ोर्स बताते हुए मसरूर अहमद वानी को उसका प्यादा और मुकेश कुमार को भारत सरकार का मददगार बताया है। TRF ने कहा है कि जो लोग कश्मीर में मजदूर बनकर आते हैं, वे भारत सरकार का कब्जा कश्मीर पर मजबूत करने में मदद करते हैं।

आगे TRF ने कहा है कि वह यह सब नहीं होने देंगे और जम्मू कश्मीर पर कब्ज़ा करने वाली शक्ति की मदद करने वालों के साथ सख्ती से निपटेंगे। यह आग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लेगी। हालाँकि, यह बात अलग है कि आतंकियों ने जिस मुकेश कुमार को मारा वह एक ईंट भट्ठे पर काम करता था और गरीब मजदूर था। वह उत्तर प्रदेश के उन्नाव का रहने वाला था।

गौरतलब है कि TRF ने जिस प्रकार की भाषा अपने बयान में उपयोग की है, ऐसी ही भाषा इस्लामी आतंकी समूह हमास भी इजरायल के विरुद्ध उपयोग करता है। TRF की तरह ही हमास के आतंकी इजरायल को फिलिस्तीन पर कब्जा करने वाला बताते हैं और उसके नागरिकों की हत्या को जायज करार देते हैं।

हमास आतंकियों के अलावा इनके समर्थक (कट्टर इस्लामी और वामपंथी) भी इजरायल के लिए ऐसी ही भाषा गढ़ते हैं। ये पूरे इजरायल को ही अवैध बताते हैं। यहूदियों की हत्या को जायज ठहराते हैं, हमास को आतंकी बताने की जगह आजादी के लड़ाके लिखते हैं। कॉन्ग्रेस पार्टी की सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) भी हमास को आतंकी के बजाय प्रतिरोधी सेना मानती है।

दरअसल, 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल में हमला करके सैकड़ों नागरिकों की हत्या करने वाले हमास ने भी तर्क दिया था कि वह फिलिस्तीन पर कब्जे के खिलाफ लड़ाई के लिए निर्दोष नागरिकों को मार रहे हैं। इजरायल-फिलिस्तीन से हजारों किलोमीटर दूर इस्लामी आतंकी संगठन TRF भी गरीब मजदूर की हत्या को जायज बता रहा। हालाँकि, उसका भारत सरकार या सेना से किसी तरह का संबंध नहीं था।

गौरतलब है कि बीते कुछ समय में कश्मीर में छोटे-मोटे काम करने वाले गैर-मुस्लिम मजदूरों पर हमले बढ़े हैं। इससे पहले जुलाई 2023 में बिहार के तीन मजदूरों को कश्मीर में मार दिया गया था। अक्टूबर 2022 में भी उत्तर प्रदेश से कश्मीर गए दो मजदूरों को मार दिया गया था।

भारत सरकार और सेना की लश्कर-ए-तैयबा तथा हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे इस्लामी आतंकी संगठनों पर सख्ती के बाद अब वे मुखौटे नामों से आतंकी गतिविधियाँ चला रहे हैं। TRF भी इसी तरह का एक इस्लामी आतंकी संगठन है। इसके अलावा PAFF (पीपल्स एंटी फासिस्ट फोर्सेस) नाम का एक इस्लामी आतंकी संगठन भी सामने आया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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