महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के सांसद नज़ीर अहमद लवे ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में संविधान की प्रति फाड़ने पर कहा कि उन्होंने तो सिर्फ एक किताब फाड़ा है। यानी कि उनके अनुसार देश के संविधान की प्रति उनके लिए महज एक किताब है। उनका कहना है कि संविधान उन्होंने नहीं, बल्कि भाजपा ने फाड़ा है।
इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी हरकत को सही ठहराते हुए कहते हैं कि ये तो सोचने वाली बात है कि जब सदन और संसद के प्रति सजग रहने वाले उनके जैसे सांसद सरकार की कार्रवाई को देखते हुए इतने उत्तेजित हो जाते हैं कि सरकार क्या कर रही है, तो फिर कश्मीर के आम नागरिक की क्या प्रतिक्रिया होगी?
जब उनसे पूछा गया कि अब जम्मू कश्मीर की कानून व्यवस्था को सीधे तौर पर केंद्र नियंत्रित करेगा, तो इसका वहाँ के लोगों पर क्या असर पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि सब कुछ कानून के हिसाब से होगा, लेकिन मुश्किलें बढ़ सकती है, क्योंकि वहाँ पर जनता के पास उनके द्वारा चुनी गई सरकार नहीं होगी। इसके साथ ही परिसीमन के बारे में बात करते हुए नज़ीर अहमद ने कहा कि अभी तो नहीं, लेकिन सरकार जल्द ही इसे भी कर सकती है और इससे लोग और भी अलग हो जाएँगे।
साथ ही नज़ीर अहमद ने सरकार के इस फैसले को चुनौती देने की भी बात कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों को इसके विरोध में संगठित होना चाहिए और सभी राजनीतिक नेताओं को एकजुट होकर चर्चा करनी चाहिए। फिर सभी को एक साथ कोर्ट जाना चाहिए। उनका कहना है कि कश्मीर का बचाव करना होगा अन्यथा कश्मीर के हालात बदतर हो जाएँगे।
गौरतलब है कि, पीडीपी सांसद नज़ीर अहमद लवे और एमएम फ़ैयाज़ ने सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के अनुच्छेद 370 में किए गए बदलाव का विरोध करते हुए संसद परिसर में संविधान फाड़ दिया था। उनकी इस हरक़त से नाराज़ सभापति एम वेंकैया नायडू ने दोनों को संसद से बाहर जाने को कहा। इसके बाद भी दोनों सांसदो ने अपना हंगामा जारी रखा और अपने कपड़े फाड़ दिए।