राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनसे क्रेडिट छीनने का आरोप लगाया है। मामला रूस के सहयोग से अमेठी में स्थापित कलाश्निकोव राइफल फैक्ट्री से जुड़ा है। यहाँ अत्याधुनिक एक-47 राइफल्स का निर्माण किया जाएगा। कलाश्निकोव 203 दुनिया की आधुनिकतम एके-47 राइफल्स में से एक है। पीएम मोदी पर झूठ बोलने का आरोप लगाने वाले राहुल गाँधी इस दौरान स्वयं झूठ बोल गए। मामले को समझने से पहले पूरे घटनाक्रम पर एक नज़र डाल कर इसकी तह तक जाना ज़रूरी है।
रविवार (मार्च 4, 2019) को अमेठी के कौहर स्थित सम्राट मैदान में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कोरवा मुंशीगंज में राइफल फैक्ट्री के उद्घाटन को लेकर लोगों को जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने कहा कि ‘मेड इन अमेठी’ AK-203 राइफलों से आतंकियों और नक्सलियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में हमारे सैनिकों को निश्चित रूप से बहुत बढ़त मिलने वाली है। उन्होंने इस फैक्ट्री से अमेठी के युवाओं को रोज़गार मिलने की भी बात कही।
‘मेड इन अमेठी’ AK-203 राइफलों से आतंकियों और नक्सलियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में हमारे सैनिकों को निश्चित रूप से बहुत बढ़त मिलने वाली है।
— PMO India (@PMOIndia) March 3, 2019
ये फैक्ट्री अमेठी के नौजवानों के लिए रोज़गार के नए अवसर भी ला रही है और देश के विकास और सुरक्षा लिए भी एक नया रास्ता खोल रही है: PM
इस दौरान प्रधानमंत्री ने राहुल गाँधी और पिछली यूपीए सरकार पर इस फैक्ट्री को लेकर निशाना साधते हुए कहा:
आपके सांसद ने जब 2007 में इसका शिलान्यास किया, तब ये कहा गया था कि साल 2010 से इसमें काम शुरू हो जाएगा लेकिन काम शुरू होना तो दूर, तीन साल में पहले की सरकार ये तय ही नहीं कर पाई कि अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में किस तरह के हथियार बनाए जाएँ। इतना ही नहीं, ये फैक्ट्री बनेगी कहाँ, इसके लिए ज़मीन तक उपलब्ध नहीं कराई गई। हमारे देश को आधुनिक राइफल ही नहीं, आधुनिक बुलेटप्रूफ जैकेट ही नहीं, आधुनिक तोप के लिए भी इन्हीं लोगों ने इंतजार कराया है।”
प्रधानमंत्री जी,
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 4, 2019
अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का शिलान्यास 2010 में मैंने खुद किया था।
पिछले कई सालों से वहां छोटे हथियारों का उत्पादन चल रहा है।
कल आप अमेठी गए और अपनी आदत से मजबूर होकर आपने फिर झूठ बोला।
क्या आपको बिल्कुल भी शर्म नहीं आती?
इसके बाद राहुल गाँधी ने ट्वीट कर उनके द्वारा किए गए कार्यों का श्रेय लेने का आरोप पीएम मोदी पर लगाया। राहुल ने इस फैक्ट्री के 2010 में शिलान्यास करने की बात कही। उन्होंने कहा कि कई वर्षों से वहाँ छोटे-छोटे हथियारों का उत्पादन चल रहा है। इस दौरान राहुल देशी कट्टे और अत्याधुनिक कलाश्निकोव 203 एके-47 राइफल्स के बीच का अंतर भूल गए। उन्होंने छोटे हथियारों की बात कह अपनी उस ‘बुद्धिमत्ता’ का परिचय दिया, जिसके लिए वह जाने जाते हैं। अखिलेश पी सिंह जैसे कॉन्ग्रेसी नेताओं ने भी राहुल के इस बयान को आगे बढ़ाया।
अगर कोरवा में 2010 में आपने शिलान्यास किया तो 2007 में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के सम्बंध में जो हुआ उसपे प्रकाश डालेंगे? @RahulGandhihttps://t.co/FxdCT1ye3Rhttps://t.co/f6qeWP4tlb
— Smriti Z Irani (@smritiirani) March 4, 2019
अगर संक्षिप्त में इस फैक्ट्री की टाइमलाइन खीचें तो 2005 में ही सेना ने तत्कालीन यूपीए सरकार से अत्याधुनिक राइफल्स ख़रीदने की माँग की थी। इसके बाद 2 वर्ष सरकार को यह निर्णय करने में ही लग गए कि इस फैक्ट्री को कहाँ स्थापित किया जाएगा। 2007 में अमेठी में राइफल फैक्ट्री के निर्माण का निर्णय लिया गया। इसके बाद 3 वर्ष सरकार को ये तय करने में लगा कि इस फैक्ट्री में किस प्रकार का हथियार बनेगा। कुल मिला कर देखें तो इन सबके बावजूद भी यूपीए सरकार इसको अमली जामा पहनाने में नाकाम साबित हुई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गाँधी के इस झूठ पर से पर्दा उठाने के लिए 2010 के एक न्यूज़ रिपोर्ट का हवाला दिया। ‘TOI’ के इस रिपोर्ट में लिखा गया है:
“अत्याधुनिक कार्बाइन निर्माण के लिए प्रस्तावित फैक्ट्री का शिलान्यास कर दिया गया लेकिन यह नहीं तय किया गया कि यहाँ कौन सी नयी तकनीक की राइफल्स बनेंगी। अनुचित साइट का चयन और अपर्याप्त मॉनिटरिंग की वजह से ये परियोजना काफ़ी धीमी गति से आगे बढ़ी। कैग रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना में बुरी तरह से देरी होने की संभावना है, जिससे सेना को तत्काल आवश्यक कार्बाइन की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।”
माननीय @narendramodi जी @RahulGandhi जी ने
— Akhilesh P. Singh (@AkhileshPSingh) March 4, 2019
2 दिसम्बर 2007 मे अमेठी के इस फ़ैक्टरी का शिलान्यास किया था जिसमें
2010 से उत्पादन भी शुरू हो चुका है
कुछ तो शर्म करो
PM पद की गरिमा का तो ख़्याल रखो
IIIT,मेगा फ़ूड पार्क,हिन्दुस्तान पेपर मिल,महिला वि.वि.
जो बन्द कराया उसे चलाना देते pic.twitter.com/WZT7PPIqMY
राहुल गाँधी अब कैग सहित सभी संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते रहते हैं लेकिन उन्हीं की सरकार के दौरान कैग ने जो बातें कहीं, उन्हें वह कैसे झूठलाएँगे? कैग ने साफ़-साफ़ कहा है कि एक नहीं बल्कि कई स्तरों पर हुई देरी के कारण ये फैक्ट्री अधर में लटकी रही। इसके लिए 60 एकड़ भूमि की ज़रूरत थी लेकिन इसके उलट सिर्फ़ 34 एकड़ ज़मीन का ही इंतजाम हो सका। ये मसला वर्षों तक उत्तर प्रदेश सरकार के साथ पेंडिंग रहा। 2006 में एक ‘साइट सिलेक्शन कमिटी’ की गठन के बावजूद इस तरह की देरी पिछली केंद्र सरकार के ढुलमुल रवैये को प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही कहा कि उन्होंने ‘राइफल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट’ का उद्घाटन किया है लेकिन राहुल इन तकनीकी चीजों को समझे बिना आक्षेप लगाने में महारत रखते हैं। राहुल को आयुध फैक्ट्री और राइफल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट के बीच का अंतर ही नहीं पता। राहुल को यह भी नहीं पता कि शिलान्यास और उद्घाटन में क्या फ़र्क़ होता है। उन्होंने ये जानने की भी कोशिश नहीं की कि पिछली सरकारों द्वारा शिलान्यास की गई कई परियोजनाएँ वर्षों तक धूल फाँकती रही, जिनमें से कई को वर्तमान सरकार ने पूरा कराया।
कलाश्निकोव राइफल उत्पादन को लेकर भी मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद कार्य शुरू हुआ। रूस के साथ इस बाबत करार किया गया, जिससे यहाँ साढ़े सात लाख अत्याधुनिक राइफल्स का निर्माण होगा, देशी कट्टे और गुल्ली-डंडे का नहीं। राहुल गाँधी ने जिस फैक्ट्री का शिलान्यास किया था, उसके लिए ₹400 करोड़ के क़रीब का बजट प्रस्तावित था जबकि नरेंद्र मोदी द्वारा की गई ताज़ा घोषणा में ₹12,000 करोड़ की लागत आएगी। ‘मेड इन फलाना’ से लेकर ‘मेड इन ढिंगना’ तक की बात करने वाले राहुल को ‘मेड इन अमेठी’ आख़िर पच क्यों नहीं रहा?