‘25 मई 2017 को पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त जे पी सिंह के प्रयासों से उज़्मा अहमद को भारत वापस लाया गया था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने तब उज़्मा को भारत की बेटी कहा था। उज़्मा की दर्दभरी कहानी भी बड़ी अजीब है। 14 साल पहले पढ़ाई के लिए अपने परिवार को छोड़कर मलेशिया जाने का फैसला कितना गलत साबित होने वाला था इसका अंदाज़ा शायद उज़्मा को नहीं था।
मलेशिया में उज़्मा को एक टैक्सी ड्राइवर ताहिर अली से प्रेम हुआ जो मूलतः पाकिस्तानी था। वह उसे बहला फुसला कर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह के किसी गाँव में ले गया और जबरन बंदूक की नोक पर उससे निकाह किया। ताहिर उज़्मा को नींद की दवाइयाँ देता था, मारता पीटता था और जबरन यौन संबंध भी बनाता था। निकाह से पहले ताहिर के 4 बच्चे और थे। खैबर पख्तूनख्वाह के अनजान से गाँव बुनेर में उज़्मा का दम घुटता था। वहशी दरिंदे ताहिर के ज़ुल्मों से ऊबकर एक दिन उज़्मा ने उस जहन्नुम से भागने की ठानी। लेकिन उसे पकड़ लिया गया और अंतहीन यातनाएँ दी गईं।
उज़्मा ने फिर भी हार नहीं मानी और एक दिन भारतीय उच्चायोग पहुँचने में कामयाब हो गई। वहाँ जे पी सिंह ने उसकी की मदद करने की ठानी और भारत में विदेश मंत्रालय से संपर्क किया गया। तब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत कर उज़्मा अहमद को भारत लाने का रास्ता साफ किया।
अब उज़्मा अपनी बेटी संग दिल्ली के सीलमपुर इलाके में रहती है। वहाँ बेटी के नाम पर ही एक पार्लर चलाकर अपना गुजारा कर रही है और अपने माँ बाप परिवार सबकी यादों के सहारे जी रही है। उसके बाप NRI हैं और 14 सालों से उनसे कोई बातचीत नहीं हुई है। वह 27 साल की थी जब मलेशिया से ताहिर के साथ पाकिस्तान गई थी। अब इस दुनिया में उज़्मा का उसकी बेटी फलक के सिवा और कोई नहीं है जो उसके पहले शौहर की औलाद है। फलक को थैलेसेमिया नामक बीमारी है जिसके इलाज के लिए उज़्मा को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
उज़्मा अहमद और जे पी सिंह के ऊपर एक बायोपिक बनने की भी खबर हैं जिसे फ़िलहाल चुनाव तक के लिए टाल दिया गया है।