उत्तर प्रदेश के अमरोहा में अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार का सिर कलम करने वाली शबनम की खूनी दास्तां अब अंत के कगार पर है। निचली अदालत द्वारा फाँसी की सजा पाने के बाद शबनम और सलीम ने सुप्रीम कोर्ट में फाँसी माफी के लिए पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने गुरुवार (23 जनवरी) को सुनवाई पूरी करके अपना फैसले को सुरक्षित रख लिया।
जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान शबनम की वकील ने उसके अपराध को जस्टिफाई करने का पूरा प्रयास किया। उन्होंने जजों के आगे दलील रखी कि उसका जेल में बर्ताव अच्छा है। वह जेल के स्कूल के बच्चों को पढ़ाती है, साथ ही जेल के कई सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनसे कहा कि आप कह रही हैं कि 10 महीने के बच्चे को मारने के बाद उसके व्यवहार में बदलाव आया है? चीफ जस्टिस ने कहा कि हम समाज के लिए न्याय करते हैं। हम ऐसे अपराधी, जिसको दोषी ठहराया जा चुका है, उसे इसलिए माफ नहीं कर सकते क्योंकि दूसरे अपराधियों के साथ उसका व्यवहार अच्छा है। बता दें सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान याचिकाकर्ता की वकील को हड़काते हुए ये भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला दिखाएँ, जिसमें जेल के अच्छे आचरण के कारण फाँसी की सज़ा को कम किया गया हो।
सलीम-शबनम के प्रेम की खूनी दास्तां
साल 2018 में 14-15 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के अमरोहा में एक सनसनीखेज मामला सामने आया था। यहाँ जिले के बावनखेड़ी गाँव के मास्टर शौकत अली की बेटी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के 7 सदस्यों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था। एमए पास शबनम उस समय गाँव के स्कूल में शिक्षा मित्र थीं। मास्टर शौकत उसकी शादी किसी पढे़-लिखे लड़के से करना चाहते थे। लेकिन, शबनम का दिल अपने गाँव के 8वीं पास सलीम पर आ चुका था। दोनों का प्यार इतना परवान चढ़ा कि शबनम ने अपने घरवालों को नशे की दवाई देकर सलीम को हर रात घर पर बुलाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में दोनों ने परिवार को बाधा मानकर उन्हें खत्म करने की साजिश रची और फिर एक रात इस खौफनाक वारदात को अंजाम दे दिया।
14 अप्रैल, 2008 की रात को शबनम ने प्रेमी सलीम को घर बुलाया। इससे पहले उसने परिवार के सदस्यों को खाने में नींद की गोली खिलाकर सुला दिया था। उस दिन शबनम की फुफेरी बहन राबिया भी उनके घर आई हुई थी। रात में शबनम व सलीम ने मिलकर नशे की हालत में सो रहे पिता शौकत, माँ हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया व दस माह के भतीजे अर्श का गला काट कर सबको मौत की नींद सुला दिया था।
इस घटना को अंजाम देने के बाद सलीम वहाँ से फरार हो गया, लेकिन शबनम पूरी रात लाशों के बीच रही। सुबह होते ही उसने शोर मचा दिया कि उनके घर में बदमाश आ गए। जब हल्ला सुनकर गाँव वाले उसके घर पहुँचे तो सबके पैरों तले जमीन खिसक गई। 10 महीने के बच्चे के शव के साथ शौकत अली और उनका पूरा परिवार कटे सिर के साथ जमीन पर पड़ा था। दिन निकलने तक ये मामला गाँव बावनखेड़ी देशभर में छा गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती भी गाँव पहुँची थीं। मामले की जाँच में घटना के हालात देखते हुए शबनम पर ही शक की सुई गई।
इसके बाद घटना के चौथे दिन पुलिस ने शबनम व सलीम को हिरासत में लिया और उनसे पूछताछ की। उनकी मोबाइल की कॉल डिटेल से सारा मामला साफ हो गया। दोनों ने बाद में कबूल किया कि हत्या की इस खौफनाक वारदात को उन्होंने ही अंजाम दिया था। हत्या में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी भी गाँव के तालाब से बरामद कर ली गई थी। इसके बाद सभी सबूतों के आधार पर स्थानीय अदालत ने दोनों को फाँसी की सजा सुनाई थी।
गौरतलब है कि सलीम और शबनम के चुपके-चुपके मिलने के दौरान कई बार उनके बीच शारीरिक संबंध बन चुके थे। जिस दिन दोनों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम दिया उस समय शबनम दो माह की गर्भवती थी। बाद में शबनम ने जेल में ही बेटे को जन्म दिया। उसका नाम मुहम्मद ताज रखा गया। आज उस बच्चे की देखभाल शबनम का एक दोस्त कर रहा है। बच्चे को उसकी माँ से मिलाने के लिए अक्सर उसे जेल लाया जाता है।
शबनम-सलीम की वो प्रेम कहानी जिसने एक ही परिवार के 7 लोगों की जान ले ली