Saturday, April 20, 2024
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67 सालों से चाय बेचकर जिसने की समाज सेवा, मोदी सरकार ने दिया उन्हें पद्मश्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, प्रकाश रॉव के बारे में बताया कि वह चाय की आमदनी से आर्थिक रूप से कमज़ोर 70 से भी अधिक बच्चों को पढ़ाते हैं।

गणतंत्र दिवस से ठीक एक दिन पहले यानी 25 जनवरी को देश में उन लोगों के नाम की घोषणा की गई है जिन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा।

इस सूची में 4 हस्तियों को पद्म विभूषण, 14 को पद्म भूषण, और 94 लोगों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा। इस सूची में एक व्यक्ति ऐसा भी है जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं लेकिन अपने लगातार प्रयासों से वह जो काम कर रहे हैं वह किसी मिसाल से कम नहीं है।

डी प्रकाश रॉव नाम के यह शख्स ओडिशा में कटक का रहने वाले हैं। जिनका ज़िक्र प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ में भी कर चुके हैं। डी प्रकाश पिछले 67 सालों से चाय बेचने का काम करते हैं। प्रकाश को चाय बेचकर जितना भी पैसा मिलता है वो उन पैसों का एक बड़ा हिस्सा समाज सेवा में लगा देते हैं। उनके इस समाज सेवा की जज़्बे को समाज ने भी मान दिया। ऐसे लोग बेशक़ थोड़े हैं पर प्रेरणा के स्रोत है।

अपनी चाय की दुकान पर प्रकाश रॉव

उनके इसी कार्य से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे पिछले साल मुलाकात भी की थी। इस मुलाकात के बाद 30 मई 2018 को मन की बात कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने प्रकाश के बारे में बताते हुए कहा था कि उन्हें उड़ीसा स्थित कटक के पास एक चाय बेचने वाले डी प्रकाश राव से मुलाकात करने का मौक़ा मिला। पीएम मोदी ने ही प्रकाश के बारे में आगे बताते हुए यह कहा था कि वह पिछले 5 दशक से चाय बेच रहे हैं लेकिन वह जो काम कर रहे हैं उसके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने, प्रकाश रॉव के बारे में बताया कि वह चाय की आमदनी से आर्थिक रूप से कमज़ोर 70 से भी अधिक बच्चों को पढ़ाते हैं।

आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को पढ़ाते डी प्रकाश रॉव

आपको बता दें कि प्रकाश पिछले 67 सालों से चाय बेचने का कार्य कर रहे हैं और वह अपनी कमाई का एक बहुत बड़ा हिस्सा गरीब बच्चों को पढ़ाने में लगाते हैं। रॉव अपने दम पर एक स्कूल भी चलाते हैं जहाँ जाकर वह झुग्गी के बच्चों को मुफ़्त में पढ़ाते हैं। यही नहीं रॉव रोज़ अस्पताल जाते हैं, वहाँ भी मरीजों और उनके परिजनों की सेवा करते हैं और उन्हें गर्म पानी पहुँचाते हैं। ये सभी कार्य उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं। ज़रूरत पड़ने पर वह रक्तदान करने से भी पीछे नहीं हटते हैं।

प्रकाश के बारे में सबसे ख़ास बात यह है वह कभी स्कूल न जाने के बाद भी हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषा अच्छे से बोल लेते हैं। यही कारण है कि वह स्कूल के बच्चों के पसंदीदा अध्यापक हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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