Friday, March 29, 2024
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मुग़लसराय स्टेशन के बाद अब तहसील भी दीन दयाल उपाध्याय के नाम

रेलवे स्टेशन के नाम को बदले जाने के करीब छ: महीने बाद अब उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुग़लसराय तहसील का भी नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय तहसील करने का फ़ैसला किया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने मुग़लसराय रेलवे स्टेशन के बाद अब तहसील का भी नाम बदल दिया गया है। राज्य सरकार के कैबिनेट मीटिंग में मुग़लसराय तहसील को पंडित दीन दयाल उपाध्याय तहसील का नाम दिया गया। मुग़लसराय तहसील उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के अंतर्गत आता है।

1968 में मुग़लसराय तहसील कार्यालय से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित रेलवे स्टेशन पर संघ विचारक दीन दयाल उपाध्याय मृत अवस्था में पाए गए थे। इसी वजह से स्थानीय लोग इस क्षेत्र के नाम को बदलकर दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखने की माँग कर रहे थे।

इससे पहले रेलवे स्टेशन का भी नाम बदला जा चुका है

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद मुग़लसराय रेलवे स्टेशन के नाम को बदलने के लिए केंद्र सरकार को एक सुझाव भेजा गया। केंद्र सरकार को भेजे अपने सुझाव में उत्तर प्रदेश सरकार ने मुग़लसराय का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन रखने की बात कही थी।

केंद्र सरकार ने राज्य की इस माँग को जून 2018 में स्वीकार कर लिया। इसके बाद मुग़लसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन हो गया। रेलवे स्टेशन के नाम को बदले जाने के करीब छ: महीने बाद अब उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुग़लसराय तहसील का भी नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय तहसील करने का फ़ैसला किया है।

दीन दयाल उपध्याय नाम पर कई योजनाएँ भी चला रही है

पंडित दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर देश में कई सारी बड़ी सरकारी योजनाएँ चल रही हैं। इन योजनाओं में मुख्य रूप से दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना है।

यही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स तथा उनके परिवार के सदस्यों के लिए पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्यकर्मी कैशलेस चिकित्सा योजना भी शुरू की है, जिसमें उन्हें किसी भी बड़े रोग के इलाज की कैशलेस सुविधा दी जाएगी। इस तरह भाजपा सरकार ने संघ विचारक व एकात्म मानवतावाद का सिद्धांत देने वाले दीन दयाल उपाध्याय जी को सालों बाद सही मायने में वह सम्मान दिया है, जिस सम्मान के वो सच्चे हक़दार थे।   

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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