Saturday, November 16, 2024
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फर्जी मतदान पर रोक के लिए मोदी सरकार का ऐतिहासिक कदम: आधार से वोटर कार्ड को अब कराना होगा लिंक, कई कार्ड रखने वालों पर नकेल

नए फैसले के तहत चुनाव आयोग चुनाव में लगे कर्मचारियों और सुरक्षाबलों को ठहराने के लिए या चुनाव संबंधित सामग्री रखने के लिए किसी भी परिसर की माँग कर सकता है। इससे चुनाव में ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को भी सुविधा होगी। 

वोटर आईडी को आधार नंबर से लिंक करने के लिए कानून मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस नोटिफिकेशन के बाद अब वोटर आईडी को आधार से लिंक करना जरूरी हो गया है। आधार से लिंक होने के बाद फर्जी वोटर आईडी रद्द कर दिए जाएँगे। चुनाव सुधार की दिशा में सरकार का यह महत्वपूर्ण कदम है। इस संबंध में कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक ट्वीट कर जानकारी दी।

रिजिजू ने शुक्रवार (17 जून 2022) को ट्वीट कर कहा, “हर मतदाता को सशक्त बनाने की दिशा में कदम! माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार द्वारा चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए ऐतिहासिक कदम। भारत निर्वाचन आयोग से परामर्श के बाद भारत सरकार चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 के तहत चार अधिसूचनाएँ जारी की हैं।”

कानून मंत्रालय ने चुनाव आयोग से परामर्श के बाद निर्वाचक पंजीकरण नियम- 1960 और चुनाव संचालन नियम- 1961 में संशोधन किया गया है। इस संबंध में सरकार की ओर से शुक्रवार (17 जून 2022) को चार नोटिफिकेशन जारी किया।

ये अधिसूचनाएँ पिछले साल के अंत में संसद में पारित चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 का हिस्सा हैं। सरकार के इस फैसले के बाद अब कोई व्यक्ति दो वोटर कार्ड नहीं रख पाएगा। इसके साथ ही सरकार ने वोटर आईडी कार्ड से जुड़े 3 और अहम फैसले लिए हैं।

सरकार के महत्वपूर्ण निर्णय

नए फैसले के मुताबिक, 18 साल की आयु पूरी करने वाले युवा मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवाने के लिए साल में 4 बार आवेदन कर सकते हैं। पहले यह व्यवस्था साल में सिर्फ एक बार थी। इस कारण मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए एक साल का इंतजार करना पड़ता था।

तीसरे निर्णय में सरकार ने वोटर आईडी कार्ड में पत्नी की जगह जीवनसाथी शब्द करने का निर्णय लिया है। इससे सर्विस वोटर के पत्नी या पति को वोट डालने के लिए सुविधा होगी। उन्हें वोट डालने के लिए आम आदमी से अलग हट कर विशेष सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। सर्विस वोटर वो होते हैं जो जो दूर-दराज के इलाके या विदेश में तैनात होते हैं।

इस फैसले के तहत चुनाव आयोग चुनाव में लगे कर्मचारियों और सुरक्षाबलों को ठहराने के लिए या चुनाव संबंधित सामग्री रखने के लिए किसी भी परिसर की माँग कर सकता है। इससे चुनाव में ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों को भी सुविधा होगी। 

चुनाव आयोग को दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश

चुनाव सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने 16 जून 2019 को चुनाव आयोग को वोटर आई कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने के निर्देश दिया था। भाजपा नेता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी।

अपनी याचिका में उपाध्याय ने कहा था कि वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने पर देश में चुनावों के दौरान फर्जी मतदान पर रोक लगाने में मदद मिलेगी और इससे अधिकतम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित होगी।

अधिवक्ता उपाध्याय ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में दलील दी थी कि आधार नंबर को वोटर आईडी कार्ड के साथ जोड़ने से संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का किसी प्रकार से उल्लंघन नहीं होगा, बल्कि यह सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी याचिका और दिया था सुझाव

अधिवक्ता उपाध्याय ने अपनी याचिका में ई-वोटिंग सिस्टम को लेकर बताया था कि इस प्रणाली में चुनाव से पहले हर बार डेटाबेस अपडेट किया जाएगा। सत्यापन के बाद सिस्टम आधार संख्या, नाम, पता और जन्म तिथि जैसी मतदाता की जानकारी दिखाएगा, जो पहले से ही आधार के डेटाबेस में संग्रहित रहेगा। इसके बाद सिस्टम मतदाता के फिंगरप्रिंट के लिए पूछेगा।

उन्होंने आगे कहा था कि यदि फ़िंगरप्रिंट आधार के डेटाबेस में से मेल खाता है तो अगला पेज पार्टी चिह्न के साथ उम्मीदवार की सूची दिखाने के लिए खुल जाएगा। जब मतदाता किसी उम्मीदवार का चयन करेगा और अपनी पसंद की पुष्टि करेगा तो सिस्टम ‘वोट सफल’ दिखाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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