Tuesday, November 5, 2024
Homeसोशल ट्रेंडमोदी-विरोध में डूबे कार्टूनिस्ट को दिखाया आईना, मस्त-मस्त कार्टून बनाकर ईंट का जवाब दिया...

मोदी-विरोध में डूबे कार्टूनिस्ट को दिखाया आईना, मस्त-मस्त कार्टून बनाकर ईंट का जवाब दिया पत्थर से

अमोल ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने ये सब कार्टून मजे के लिए बनाया था, लेकिन साथ ही वो एक मैसेज भी देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि समय मिलने पर वो और भी कार्टून बनाएँगे।

जब से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, तब से बहुत सारे पत्रकारों ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है। वहीं अधिकतर जानकारों का मानना है कि अब निष्पक्ष पत्रकार जैसी कोई बात नहीं है। इन जानकारों में से अधिकांश की अपनी विचारधारा है और कई ऐसे हैं, जो सक्रिय रूप से एक खास राजनीतिक एजेंडा को फैलाने के लिए काम करते हैं।

वैसे जब बात ‘कार्यकर्ताओं’ या ‘कलाकारों’ की आती है तो ये बात उतनी सटीक नहीं बैठती है। ये कलाकार दिखावा करते हैं कि वो सत्य की खोज में जुटे हैं। कार्टूनिस्ट भी खुद को कलाकार मानते हैं और उन्हें पत्रकार के लगभग बराबर ही माना जाता है। और वो भी पक्षपातपूर्ण रवैये से भरे होते हैं। कई सारे ट्विटर यूजर्स भी इस तरफ इशारा करते हैं।

इन्हीं ट्विटर यूजर्स में से एक है- टीपूडा। इनका यूजरनेम है- @PR1CELES5। टीपूडा ने कई सारे कार्टून्स को सही (राजनीतिक रूप से) किया है, खासकर सतीश आचार्य द्वारा बनाए गए कार्टून्स का। उन्होंने इन कार्टून्स को सही करते हुए बताया है कि कैसे ये ओरिजिनल कार्टून्स पक्षपाती हैं और सिर्फ एक ही पक्ष को दिखाते हैं।

टीपूडा का असली नाम अमोल है। वो प्रोफेशनल कार्टूनिस्ट नहीं है, लेकिन कार्टून के माध्यम से चीजों का खंडन करने के लिए वो काफी पॉपुलर है। अमोल ने ऑपइंडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने ये सब कार्टून मजे के लिए बनाए थे, लेकिन साथ ही वो एक मैसेज भी देना चाहते थे। उन्होंने कहा कि समय मिलने पर वो और भी कार्टून बनाएँगे।

यहाँ पर हम ओरिजिनल कार्टून और अमोल द्वारा ‘सही’ किए कार्टून दोनों को ही दिखाएँगे। पढ़कर आप खुद ही समझ जाएँगे कि कैसे किसी भ्रमित विचारधारा के बोझ तले दब कर कोई कार्टूनिस्ट सही चीज के बजाय प्रोपेगेंडा फैला रहा होता है।

कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ‘मंसूर’ नाम के कार्टूनिस्ट का एक काटून शेयर करते हैं, जिसमें नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) दोनों को मिक्स कर दिया गया है। जिसके बाद अमोल ने इसे सही करते हुए एक कार्टून बनाया। इसमें अमित शाह एक शख्स से पूछ रहे हैं कि सब कुछ विस्तार से समझाने के बावजूद तुम विरोध क्यों कर रहे हो तो वो कहता है – मुझे खुद नहीं पता। और इसमें पीछे से शशि थरूर को बोलते हुए दिखाया गया है कि वो पता भी नहीं चलने देंगे। यानी कि वो विरोध इसलिए कर रहा है क्योंकि शशि थरूर उसे करने के लिए कह रहे हैं।

अमोल ने इसके बाद सतीश आचार्य के द्वारा बनाए गए किसी कार्टून को सही किया। सतीश आचार्य ने कार्टून में दिखाया कि भीड़ ‘गोली मारो सालो को’ चिल्ला रही है और पुलिस देख रही है।

अमोल ने इसे सही करते हुए दिखाया कि कैसे सतीश आचार्य उस समय चुप रहते हैं जब CAA के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसक भीड़ गुजरात पुलिस को मार रही होती है। वो उस समय अपनी आर्ट का परिचय नहीं देते हैं।

आचार्य ने एक अन्य ट्वीट में बॉलीवुड फिल्म तान्हाजी और छपाक के बॉक्स ऑफिस पर प्रदर्शन को दिखाया। इसमें दिखाया गया कि तान्हाजी की कमाई हुई तो छपाक ने लोगों का दिल जीता। अमोल ने इसे सही करते हुए दिखाया कि तान्हाजी ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल दिखाने के साथ ही लोगों का दिल भी जीता।

अगला कार्टून आचार्य ने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह की फोटो सामने आने के बाद बनाया, जिसमें उन्होंने दिखाने की कोशिश की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने के बाद लोकतंत्र खतरे में है।

महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि के अगले दिन सतीश आचार्य ने महात्मा गाँधी और नाथूराम गोडसे की तस्वीर बनाई। इसमें गाँधी जी को यह कहते हुए दिखाया गया है कि वो (हत्यारे) मुझे नहीं मार सकते और गोडसे कहता है, वो मुझे फाँसी नहीं दे सकते। अमोल ने कार्टून को सही करते हुए सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू को दिखाया है। इसमें उन्होंने शाहीन बाग में जिन्ना वाली आजादी के नारे की तरफ इशारा किया, जिसका मास्टरमाइंड असम को भारत से काटने की धमकी देने वाला शरजील इमाम है।

अगले कार्टून में आचार्य ने ये दिखाने की कोशिश की कि दिल्ली का चुनाव बीजेपी केजरीवाल Vs पाकिस्तान के दम पर लड़ना चाहती है। हालाँकि अमोल ने अपने कार्टून में इस बात की तरफ इशारा किया कि पाकिस्तान में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के बाद केजरीवाल समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने उस पर सवाल उठाए और सबूत भी माँगे थे।

सतीश आचार्य ने अपने एक अन्य कार्टून का आधार बनाया – दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) में हुई हिंसा। इसमें उन्होंने दिखाया कि हमलावर पीएम मोदी के समर्थक थे, जबकि सच्चाई यह है कि हमलावर वामपंथी थे।

एक अन्य कार्टून में आचार्य ने दिखाया कि पीएम मोदी पाकिस्तान पर हमला करने की बात कह रहे हैं, जबकि अर्थव्यवस्था, मंदी, बेरोजगारी सब पीछे से उन पर हमला कर रही है। अमोल ने अपने कार्टून में दिखाया कि पीएम मोदी इन सबसे निपटारे के लिए नए स्कीम लेकर आए हैं, लेकिन आचार्य ये नहीं दिखाएँगे।

सतीश आचार्य ने अगले एक कार्टून में दिखाया कि पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पुलिस की ड्रेस में हैं और गुलशन (बदला हुआ नाम) ने नोटबंदी और जीएसटी के नाम पर गोली चलाई। बता दें कि गुलशन ने जामिया के पास फायरिंग की थी। वहीं अमोल ने कार्टून में दिखाया कि पीएम मोदी और अमित शाह देश तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं।

कार्टूनिस्ट आचार्य ने ‘कॉमेडियन’ कुणाल कामरा के इंडिगो फ्लाइट द्वारा बैन लगाए जाने के बाद एक कार्टून बनाया। जिसमें दिखाया कि सरकार एयर इंडिया का मजाक बना रही है, जबकि अमोल ने अपने कार्टून में इसे सही करते हुए दिखाया कि एयर इंडिया ने वामपंथी कामरा का मजाक बनाया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

हर निजी संपत्ति ‘सामुदायिक संसाधन’ नहीं, सरकार भी नहीं ले सकती: प्राइवेट प्रॉपर्टी पर सुप्रीम कोर्ट ने खींची नई लक्ष्मण रेखा, जानिए अनुच्छेद 39(B)...

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 39(B) के तहत सभी निजी संपत्तियों को 'सामुदायिक संसाधन' नहीं माना जा सकता।

सीरियल ब्लास्ट की साजिश, कोल्लम कलेक्ट्रेट में खड़ी जीप को टिफिन बम से उड़ाया… अब्बास, करीम और दाऊद को केरल की अदालत ने ठहराया...

केरल के कोल्लम में 2016 में हुए एक आईईडी ब्लास्ट में तीन लोग दोषी ठहराए गए हैं। इनके नाम हैं अब्बास अली, शमसून करीम राजा और दाऊद सुलेमान।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -