भारत को दो मोर्चों पर युद्ध करना पड़ रहा है। एक ओर जहाँ देश चाइनीज कोरोनावायरस संक्रमण से लड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर फेक न्यूज से। आए दिन सोशल मीडिया में पत्रकारों, फ़िल्मकारों और अन्य इंफ्लुएंसर्स द्वारा फेक न्यूज फैलाई जाती है जिससे देश में सरकार और व्यवस्था के प्रति असंतोष उत्पन्न होता है और लोगों में डर पैदा होता है। हालाँकि, इस पर कार्यवाही करते हुए भारत सरकार ने ट्विटर से ऐसी फेक न्यूज से भरी पोस्ट को अपने प्लेटफॉर्म से डिलीट करने का आदेश दिया।
अब जाहिर सी बात है कि जब भी सरकार ऐसी गलत अफवाहों से भरी पोस्ट को डिलीट करने के लिए कहेगी तो सबसे पहले ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का विलाप ही शुरू होगा। वामपंथी मीडिया यही कहेगा कि सरकार उनकी आवाज को दबा रही है। भले ही उनकी आवाज देश में भय का माहौल ही क्यों न बना दे।
जिनकी पोस्ट ट्विटर ने डिलीट की है उनमें पहला नाम है फिल्मकार अविनाश दास का जिन्होंने स्वरा भास्कर को निर्देशित किया है। दास ने एक पुराना वीडियो पोस्ट किया और बता दिया कि गुजरात का है। गुजरात मॉडल का मजाक उड़ाते हुए दास ने कहा कि वीडियो गुजरात के तापी जिले का है जहाँ मरीजों का टेंट में उपचार किया जा रहा है। बाद में पता चला कि तस्वीरें तो नवापुर महाराष्ट्र की थीं।
गुजरात के तापी जिले के लोगों में घबराहट का माहौल न बने इसलिए फिल्मकार दास की ट्विटर पोस्ट हटा दी गई।
ऐसे ही एक फिल्मकार हैं विनोद कापरी। ये भी फेक न्यूज फैलाते हुए पकड़े गए। इन्होने तो अपने ही समकक्ष अविनाश दास को भी पीछे छोड़ दिया। दास ने कहा था कि मरीजों का टेंट में ईलाज हो रहा है लेकिन कापरी ने कह दिया कि हर घर श्मशान बन रहा है।
कापरी पर उनके ही सहकर्मी द्वारा अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए एक बच्ची को गोद लेने की झूठी कहानी फैलाने का आरोप लगाया गया था। अप्रैल 2020 में भी जब Covid-19 महामारी अपने प्रारंभिक चरण में थी तब कापड़ी को पीपीई किट और रक्षात्मक उपायों पर फेक न्यूज फैलाते पकड़ा गया था। अब इनका भी ट्वीट डिलीट कर दिया गया है। हालाँकि ये फेक न्यूज फैलाना कम करेंगे, इसकी गुंजाइश बहुत कम है।
कफील खान गोरखपुर के अस्पताल में हुई त्रासदी का आरोपी है। इसने भी दाह संस्कार की कुछ तस्वीरों को पोस्ट किया जिनका वर्तमान परिस्थितियों से कोई लेना देना नहीं था। ये पोस्ट भी डिलीट हुई।
ऊपर बताए गए लोगों ने कम से कम महामारी के अस्तित्व को स्वीकार तो किया लेकिन राजनैतिक एक्टिविस्ट हंसराज मीणा बाकी सबसे कई कदम आगे निकल गए। उन्होंने कह दिया कि कोरोना वायरस मात्र एक षड्यंत्र है। मीणा ने अपनी बहादुरी के किस्से 12 अप्रैल 2021 को ट्वीट किए और बताया, “कोरोनाकाल में न मैंने मास्क खरीदा और न मुँह पर लगाया। एक साल के अंदर मैं कई राज्यों और 30 बड़े शहरों की यात्रा कर चुका हूँ। मैं इस बेवकूफी भरी बीमारी से बिल्कुल नहीं डरता और न ही अपने लोगों को डराता हूँ।“
मीणा कहना चाह रहे थे कि उन्हें कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं हुआ तो वह है ही नहीं। उन्होंने #कोरोना_एक_षड्यंत्र_है भी लिखा। यही हैशटैग उनके समर्थकों ने भी लपक लिया। अब जैसा लीडर होगा वैसे ही होंगे समर्थक। हो गए हजारों ट्वीट।
मीणा के जैसे ही मासूम कैफ़ी और केएस सिद्दीकी जैसों ने भी कोरोना को षड्यंत्र ही बताया। कैफ़ी ने इसे जनसंख्या कम करने का षड्यंत्र बताया तो वहीं सिद्दीकी ने यहाँ तक कह दिया कि यह बीमारी और वायरस सिर्फ टीवी में ही है।
मीणा के ही एक समर्थक ने यहाँ तक कह दिया कि कोरोनावायरस एक षड्यंत्र है तो वैक्सीन की कोई जरूरत ही नहीं है।
फिर क्या था, भ्रमक खबरें फैलाने पर इनका भी ट्वीट डिलीट हुआ। भारत सरकार ने ट्विटर से इनके ट्वीट पर भी कार्रवाई करवाई।
किसान आंदोलन के दौरान भी ट्विटर ने कुछ भ्रामक खबरों से भरे ट्वीट हटाने से मना कर दिया था। तब भारत सरकार ने ट्विटर को साफ कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भारत का घरेलू कानून मानना ही पड़ेगा। इसके बाद इस बार ट्विटर ने अपना रूख बदला है।