फर्जी माइथोलॉजी एक्सपर्ट देवदत्त पटनायक ने 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस (Mental Health Day) के अवसर पर सोशल मीडिया पर अपनी गिरी हुई मानसिकता का परिचय दिया। देवदत्त ने सोशल मीडिया पर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है, उसे उनके बिगड़ते मानसिक स्वास्थ्य के प्रमाण के रूप में लिया जा सकता है।
Chup chudail . Jalti kyon hai. Limbu mirchi band hua kya ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) October 10, 2019
विचारों में अंतर होने को लेकर किसी महिला को ‘चुड़ैल’ कहना बेहद ही अशिष्ट और नीचतापूर्ण व्यवहार है। हालाँकि, यह सब बातें पटनायक के पल्ले नहीं पड़ने वाली है, क्योंकि बहुत सारे वामपंथी-उदारवादी जोकर हैं, जो महिलाओं के साथ तब तक ही सही तरीके से बात कर सकते हैं, जब तक कि बात उनके मन मुताबिक हो, जैसे ही कोई महिला इनके विचार के विपरीत रुख अपनाती है तो वो उनके साथ बदतमीजी से पेश आने से जरा भी नहीं हिचकते।
यह पहली बार नहीं है जब पटनायक की बेहूदगी सोशल मीडिया पर दिखी हो। ऐसा बराबर ही होता रहता है। पद्मावत विवाद के दौरान, पटनायक का मानना था कि उस समाज के मर्दों को राक्षस सदृश बताया जाए जिसमें महिलाओं को जौहर करना पड़ता है भले ही वो इस्लामी आक्रांताओं के अत्याचार से बचने के लिए किया गया था। उन्होंने उन हिंदुओं पर आरोप लगाया और दावा किया कि उन्हें सिर्फ जलती हुई महिलाएँ पसंद हैं और यहाँ तक कहा कि वो वैवाहिक बलात्कार में लिप्त रहते हैं।
देवदत्त पटनायक की अभद्रता बार-बार ट्विटर पर देखने को मिलती है। हाल ही में ‘माइथोलॉजी एक्सपर्ट’ ने ट्विटर पर एक यूजर से पूछा कि क्या उसके साथ एक बच्चे के रूप में दुर्व्यवहार किया गया था।
You love tearing . So much suppressed violence. abused as a child ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 6, 2019
एक अन्य ट्वीट में जब एक महिला ने उन्हें सुझाव दिया कि उन्हें अपने जीवन में कुछ सकारात्मक ऊर्जा की आवश्यकता है तो पटनायक ने इसका जवाब देते हुए लिखा कि वो उनकी तरह की ‘नकारात्मक शक्तियों’ को गाली दे रहे हैं।
पटनायक दूसरों की माताओं को गाली देने में भी काफी रुचि दिखाते रहे हैं। एक यूजर ने जब उनसे कुछ पूछा तो उन्होंने बेहद ही घटिया भाषा शैली का इस्तेमाल करते हुए ट्वीट किया, “मैं तुम्हारी माँ से पूछकर बताऊँगा।”
ऐसा लगता है कि पटनायक को सोशल मीडिया पर उनका मजाक उड़ाने वाले लोगों की माताओं को शामिल करने की आदत है। भगवान जाने उन्हें ये आदत कहाँ से लगी, मगर ये बहुत ही गंदी आदत है।
Your mother did that ? So sorry ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 10, 2019
Actually I am rattled as your mother is very ashamed she gave birth to you .
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 7, 2019
No your father and mother were at the bar with me ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) September 7, 2019
Go to sleep stupid boy and apologise to your mother for your birth
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) July 2, 2019
देवदत्त पटनायक को लोगों पर महिलाओं के जलाने का आरोप लगाना खासा पसंद है। उन्होंने 17 नवंबर 2017 को “आप सिर्फ जलती महिलाओं को पसंद करते हैं” वाक्य को लेकर एक साथ कई सारे ट्वीट किए। इस दौरान उन्होंने अपने शब्दों को बदलने की जहमत भी नहीं उठाई और बस प्रवाह के साथ सबको एक ही जवाब देते चले गए।
सोशल मीडिया पर उनके घटिया आचरण के अलावा, त्रुटियों, जोड़तोड़ और एकमुश्त झूठ के लिए उनके काम की काफी आलोचना की गई। उन पर संस्कृत ग्रंथों की गलत व्याख्या करने का आरोप लगाया गया है और कई लोगों का मानना है कि वह एक घटिया तरह के वामपंथी अजेंडे के तहत ऐसा करते हैं।
पटनायक ने वामपंथी हठधर्मिता के कुछ रुग्ण पहलुओं का मुकाबला करने का भी प्रयास किया है, जिसके लिए उन्हें उस तरह के लोगों से आलोचनाएँ भी सुनने को मिली।
Women not allowed into Hindu temple – Hindus are misogynistic, patriarchal ?
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) August 24, 2018
Nuns not allowed to hear confessions in Church – respect the religion. ?
Women not allowed to lead prayer in mosque – kindly respect the religion. ?
BTW , if you retweet this you become ‘Sanghi’ ?
पटनायक ने वामपंथियों में व्याप्त ब्राह्मण विरोध पर भी बोला है और कई बार इस्लामी असहिष्णुता पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है जिसे हमेशा वामपंथियों द्वारा अनदेखा किया जाता है।
Many LW activist groups talk how Ram killed Shambuka, a shudra, to show how “Brahminism” is oppressive.
— Devdutt Pattanaik (@devduttmyth) August 17, 2019
But same groups will not speak of how Ram also kills Ravana, a brahmin.
The latter information complicates matters and prevents reducing Ramayana into binary politics.
जबकि देवदत्त पट्टनायक खुद को किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में देखना चाहेंगे, जिसने वास्तव में वाम-अधिकार विभाजन की बाधाओं को पार कर लिया है, लेकिन वह वास्तव में वाम-उदारवादी जोकर संसार का एक और प्रमुख चेहरा बन गए हैं। उनके एक या दो ट्वीट ही ऐसे होंगे, जिसमें उनके विचार से समझदार लोग सहमत होंगे। उनके अधिकांश ट्वीट ये दर्शाते हैं कि वो मानसिक तौर पर अस्थिर और विक्षिप्त हैं।
हैरानी की बात ये है कि पटनायक ने ‘देवी’, ‘लक्ष्मी’ और ‘बुक ऑफ काली’ नाम की पुस्तकें लिखी हैं और इसके बावजूद वो महिलाओं और दूसरों की माताओं को लेकर बेहूदा और शर्मनाक ट्वीट करते रहते हैं।