सोमवार (14 मार्च, 2022) को, वाशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार राणा अय्यूब ने झूठा दावा किया कि भारत के आतंकवादियों और दुश्मनों के लिए लगाया गया नारा आम भारतीय मुसलमानों को टार्गेट करने के लिए था।
शुक्रवार (11 मार्च) को फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की रिलीज के बाद, रोहित बिश्नोई नाम के एक ट्विटर यूजर ने एक मूवी थियेटर से एक दृश्य साझा किए थे जिसमें दर्शकों को भारत के आतंकवादियों और दुश्मनों के खिलाफ नारे लगाते हुए सुना गया था।
वीडियो में, दर्शकों में से एक व्यक्ति चिल्ला रहा था, “देश के गद्दारों को, गोली मारो सालो को।” वहीं वीडियो में सुनाई देने वाले अन्य नारे ‘भारत माता की जय’ के थे।
Public reaction in theatre after watching #TheKashmirFiles .
— Rohit.Bishnoi (@The_kafir_boy_2) March 11, 2022
"Desh ke gaddaro ko goli maro salo ko"#KashmirFiles #TheKashmirFilesreview @vivekagnihotri @AnupamPKher pic.twitter.com/abEwwnwbmD
जल्द ही वहाँ कई दूसरे दर्शक भी इस नारेबाजी में शामिल हो गए। बता दें कि विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को दर्शाया गया है। और उन पीड़ितों को 3 दशक बाद आज भी न्याय मिलना बाकी है।
वीडियो देख कर यह साफ पता चलता है कि फिल्म में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को देखकर लोगों का गुस्सा आतंकवादियों के प्रति था, जिन्होंने हिंदू पंडितों के खिलाफ इस तरह के अकथनीय अत्याचार किए, जो अलगाववादियों, भारत के दुश्मनों के साथ मिले हुए थे, जो कश्मीर को भारत से अलग करना चाहते हैं। हालाँकि, ‘पत्रकार’ राणा अय्यूब ने सिर्फ यह मान लिया कि नारा भारतीय मुसलमानों के खिलाफ था, भले ही उस नारे में मुस्लिम शब्द या किसी धार्मिक पहचान का कोई उल्लेख नहीं है। ‘गद्दार’ का मतलब सिर्फ देश के दुश्मनों से है।
हालाँकि, यह स्पष्ट नहीं है कि राणा अय्यूब ने यह दावा क्यों किया कि भारतीय मुसलमानों को ‘गद्दार’ कहा जा रहा है। यह भी समझ में नहीं आता है कि पत्रकार भारतीय मुस्लिमों की तुलना ‘देशद्रोही’ से क्यों करती हैं या उन्होंने यह निष्कर्ष क्यों निकाला है कि भारत माता की जय-जयकार करने वाला नारा ‘भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ’ है।
राणा अय्यूब ने दरअसल, ऐसे नारा लगाने वालों को निशाना बनाकर आतंकियों के कुकृत्यों पर पर्दा डालने की कोशिश की। वाशिंगटन पोस्ट के स्तंभकार ने आतंकवाद विरोधी नारेबाजी को हिंदुओं द्वारा ‘मुस्लिम विरोधी नफरत’ का प्रतीक करार दिया।
यहाँ तक कि राणा अय्यूब को समस्या फिल्म द कश्मीर फाइल्स के टैक्स फ्री करने को लेकर भी है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि फिल्म को टैक्स फ्री इसलिए किया जा रहा है क्योंकि निर्देशक प्रधानमंत्री के साथ फोटो सेशन करा रहे हैं और कुछ बीमार लिबरल फासीवाद को हराने के लिए मुस्लिमों को उपदेश देंगे।
दरअसल, राणा अय्यूब ने फिल्म देखकर आक्रोशित कुछ दर्शकों के नारों का इस्तेमाल आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने और हिंदू पंडितों के खिलाफ अत्याचार को बड़ी चालाकी से मुस्लिमों को खतरा है कि तरफ मोड़ने की कोशिश की।
हालाँकि, यह उनके लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि ‘पत्रकार’ को कट्टरपंथी मुस्लिमों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए जाना जाता है। इस तरह से कहा जाए तो राणा अय्यूब ने कश्मीर घाटी में हिन्दू नरसंहार में सबसे आगे रहने वाले आतंकवादियों के पक्ष में नैरेटिव सेट करने की कोशिश की।