Tuesday, November 5, 2024
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ट्विटर गली में शोर है, मुनव्वर राना? जी हाँ, ‘मेरे हिस्से माँ आई’ शेर का सच ये है

"पुष्टि के बाद पुनः यह पत्र ट्वीट कर रहा हूँ। जिस नज़्म 'मेरे हिस्से में माँ आई' की कमाई मुनव्वर राना, ज़िंदगी भर खाते रहे वो आलोक श्रीवास्तव, जी की कविता की कॉपी है। मुनव्वर राना ने खत का आज तक जवाब नहीं दिया, बेशर्मी से चुराई नज़्म पर पुरस्कार और तालियाँ बटोरते रहे।"

मुनव्वर राना द्वारा ‘माँ’ शीर्षक पर कथित तौर पर लिखी गई कविता को आज तक हर कोई यही कहते आया है कि ‘माँ’ पर अगर किसी को कुछ बेहतरीन पढ़ना हो, तो उसे मुनव्वर राना की ये पंक्तियाँ पढ़नी चाहिए।

लेकिन मुनव्वर राना (Munawwar Rana) ने जिन पंक्तियों पर जिंदगीभर वाह-वाही लूटी, वास्तव में वो मशहूर लेखक आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई ‘अम्मा’ कविता से चुराई गईं हैं।

यह पंक्ति आज ट्विटर पर चर्चा का विषय है। दूरदर्शन न्यूज़ के वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने एक ट्वीट करते हुए लिखा –

“मुन्नवर राना पर आरोप हैं कि उनकी मशहूर नज़्म ‘मेरे हिस्से में माँ आई’ दअरसल हिंदी कवि आलोक श्रीवास्तव की कविता ‘मेरे हिस्से अम्मा आई’ को चुरा कर लिखी गई। (आलोक जी का पुराना पत्र पढ़िए)”

अशोक श्रीवास्तव ने मुनव्वर राना के एकाउंट को टैग करते हुए लिखा – “@मुनव्वर राना, जी आरोप गंभीर है। जवाब दें अन्यथा कोई अवार्ड बचा हो तो लौटा दें।”

इस ट्वीट के साथ संलग्न पत्र में 2003 की तारीख है और यह आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखा गया है।

आलोक श्रीवास्तव द्वरा लिखा गया पत्र, जो ट्विटर पर शेयर किया जा रहा है

पत्र में लिखा गया है कि मुनव्वर राना ने अपने मुशायरे में उनकी लिखी पंक्तियों को लोगों के टोकने के बाद भी कई बार इस्तेमाल किया है। आलोक श्रीवास्तव ने इस पत्र में लिखा है कि लगभग तीन दशक से उनका ये शेर प्रकाशित होता आया है और मुनव्वर राना को अपनी याददाश्त का इस्तेमाल पाकीज़गी से करना चाहिए।

ज्ञात हो कि आलोक श्रीवास्तव का नाम देश के मशहूर ख्याति प्राप्त शायरों में शामिल है। जगजीत सिंह, अमिताभ बच्चन, मालिनी अवस्थी समेत कई गायक आलोक श्रीवास्तव के लिखे गीतों और गजलों को सुर दे चुके हैं।

इसके साथ ही बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए आलोक ने गीत लिखे हैं। दर्जनों से भी ज्यादा देशों में कवि सम्मेलन और मुशायरे में भी आलोक श्रीवास्तव शिरकत कर चुके हैं और देश विदेश में कई सम्मान भी मिल चुके हैं।

एक और ट्वीट में अशोक श्रीवास्तव ने लिखा कि अभी इस पत्र की पुष्टि नहीं हुई है लेकिन सोशल मीडिया पर यह पत्र वायरल हुआ है जिस पर 2003 की तारीख है।

उन्होंने लिखा – “सच या तो मुन्नवर राना बता सकते हैं या विदिशा के कवि आलोक श्रीवास्तव। यदि कोई इनका संपर्क दे सके तो आभारी रहूँगा। इस पत्र का सच जानना ज़रूरी है।”

लेकिन इसके जवाब में मुनव्वर राना की ओर से कोई भी प्रतिक्रिया न आने पर अशोक श्रीवास्तव ने एक और ट्वीट करते हुए लिखा –

“पुष्टि के बाद पुनः यह पत्र ट्वीट कर रहा हूँ। जिस नज़्म ‘मेरे हिस्से में माँ आई’ की कमाई मुनव्वर राना, ज़िंदगी भर खाते रहे वो आलोक श्रीवास्तव, जी की कविता की कॉपी है। मुनव्वर राना ने खत का आज तक जवाब नहीं दिया, बेशर्मी से चुराई नज़्म पर पुरस्कार और तालियाँ बटोरते रहे।”

आलोक श्रीवास्तव की कविता ‘अम्मा’ –

मुनव्वर राना पर यह आरोप पहले भी कई बार लगाया गया है लेकिन इस पर कभी इतनी खलकर बहस नहीं हुई, जिसका फायदा उठाते हुए मुनव्वर राना ने भी कभी इस पर स्पष्टीकरण देना उचित नहीं समझा।

आलोक श्रीवास्तव की लिखी की कविता ‘अम्मा’ की पंक्तियाँ इस तरह हैं –

“बाबूजी गुजरे..आपस में सब चीजें तकसीम हुईं।
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से आई अम्मा।”

आलोक की ये कविता कई पत्रिकाओं में छपी थी। कई बार उन्होंने जिक्र भी किया कि मुनव्वर राना ने उनकी लाइनें चुराई ही नहीं थीं, बाकायदा उसकी लाइनों पर डकैती डाली थी।

मुनव्वर राना ने जिस शेर को हमेशा अपना बताया है वो इस तरह से है –

“किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई।
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में माँ आई।”

फिर से विवादों में हैं मुनव्वर राना

मुनव्वर राना आजकल एक बार फिर विवादों के कारण चर्चा में आए हैं। दरअसल, उन्होंने एक विवादित ट्वीट में कहा है कि भारत में 35 करोड़ इंसान और 100 करोड़ जानवर रहते हैं। इसके साथ ही मुनव्वर राना ने लिखा है कि ये 100 करोड़ चुनावों में वोट देने के ही काम आता है।

अब देखना यह है कि आलोक श्रीवास्तव के लिखे इस पत्र के वायरल होने पर मुनव्वर राना ईमानदारी का परिचय देकर इसे स्वीकार करते हैं या फिर प्रमाण सहित इन दावों का खंडन करते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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