Sunday, September 1, 2024
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BBC जैसा चैनल खोलकर पाक उठाएगा मुस्लिम मुद्दे: लोगों ने कहा- क्या न्यूयॉर्क टाइम्स, CNN, अलजजीरा.. कम पड़ गए

यूजर्स इस चैनल के खुलने पर ये भी बोल रहे हैं कि इनके पास पूरे विश्व भर में अजेंडा फैलाने के लिए बीबीसी, सीएनएन, अलजजीरा, न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट जैसे चैनल हैं और इन्हें अब भी एक चैनल की जरूरत है जो मुस्लिमों के मुद्दों पर प्रकाश डाले।

कश्मीर मामले को वैश्विक पटल पर उठाकर हर ओर से अपनी फजीहत करवाने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों मलेशिया प्रधानमंत्री और तुर्की के राष्ट्रपति से मिलकर बीबीसी जैसा एक अंग्रेजी चैनल खोलने की योजना बना रहे हैं। जिसके संबंध में आज उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकॉउंट से घोषणा भी कर दी है।

इमरान खान के मुताबिक तीनों देश मिलकर ऐसा न्यूज चैनल खोल रहे हैं, जो मुस्लिमों के मुद्दों पर प्रकाश डालेगा और इस्लामोफोबिया के ख़िलाफ़ भी लड़ाई लड़ेगा। इमरान खान ने अपने ट्वीट के साथ एक तस्वीर भी शेयर की है। जिसमें उनके साथ मलेशिया प्रधानमंत्री महातिर और तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान उनके साथ बैठे नजर आ रहे हैं।

इमरान भले ही इस बैठक को और इस फैसले को एक उपलब्धि की तरह मान रहे हों, लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स फिर भी उनसे और सवाल कर रहे है।

जाने माने पत्रकार आदित्य राज कौल इस ट्वीट पर दो टूक कहते हैं कि पाकिस्तान, मलेशिया और तुर्की इंसानियत और आतंकवाद की लड़ाई को लेकर बिलकुल चिंतित नहीं हैं, अब इस्लामिक प्रोपेगेंडा और नफरत फैलाने के लिए हमारे पास एक और मुखपत्र आ गया है। आदित्य ने अपने ट्वीट में पूछा है कि क्या इस मुस्लिम चैनल के संपादक जाकिर नाइक होने वाले हैं?

उनके अलावा साजिदा अख्तर नाम की यूजर पूछती हैं कि क्या अपने इस चैनल में वो चाइना में उघूर मुस्लिमों के साथ होते बर्ताव के बारे में बात करेंगे? वहीं बक्षी सिंह पूछते हैं कि उघूर मुस्लिमों पर भी कोई बात होगी या सिर्फ़ भारत के ख़िलाफ़ फर्जी प्रोपेगेंडा फैलाया जाएगा।

लोग हैरान है कि पाकिस्तान मलेशिया और तुर्की के साथ मिलकर इतनी बड़ी बात खुलेआम कह रहा है और मीडिया गिरोह के किसी व्यक्ति को इस बात में खबर नहीं दिख रही। मीडिया चैनल इसपर बात करने से कतरा रहा है। लोग पूछ रहे हैं क्या ये खबर सुर्खियों में आने वाली खबर नहीं है? यूजर्स का कहना है कि सोचिए जरा अगर नरेंद्र मोदी नेपाल और सुरीनाम जैसे हिन्दू राष्ट्रों के साथ ऐसा कोई बैठक करते तो सभी लोगों का गुस्सा फूट पड़ता।

यूजर्स का कहना है कि हर भारतीय को मलेशिया को बॉयकॉट करने की बात अपने हर ट्वीट के नीचे लिखनी चाहिए।

तुर्की के इस फैसले में शामिल होने पर लोग बोल रहे हैं कि तुर्की ने हजारों रिपोर्टर्स और विपक्ष के लोगों को जेल पहुँचाया है और अब ये हमें ज्ञान दे रहा है। लोगों का कहना है कि वो चाहते वो उस शुभ मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं जब भारत तुर्की से अपने संबंध तोड़ेगा।

लोगों का कहना है कि इमरान द्वारा शेयर की गई तस्वीर में तीन देश एक साथ बैठकर इस बात पर राय कायम कर रहे हैं कि सोशल मीडिया और टीवी चैनल्स के जरिए कैसे इस्लाम को पूरे विश्व में फैलाया जाए। ये शर्मनाक है कि ये अपने देश के प्रधानमंत्री हैं।

यूजर्स इस चैनल के खुलने पर ये भी बोल रहे हैं कि इनके पास पूरे विश्व भर में अजेंडा फैलाने के लिए बीबीसी, सीएनएन, अलजजीरा, न्यूयॉर्क टाइम्स और वाशिंगटन पोस्ट जैसे चैनल हैं और इन्हें अब भी एक चैनल की जरूरत है जो मुस्लिमों के मुद्दों पर प्रकाश डाले।

उल्लेखनीय है कि न्यूयॉर्क दौरे के दौरान 74वें सत्र में संयुक्त राष्ट्र की जनरल असेंबली में कहा था कि इस अंग्रेजी चैनल पर वे मुस्लिमों से जुड़ी सीरीज और फिल्में दिखाएँगे, जिसमें मुस्लिम शिक्षा और इस्लामिक इतिहास से जुड़ी बाते होंगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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