सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को बाबरी विध्वंस मामले में सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया। वहीं इस फैसले से बौखलाए मुस्लिमों ने सोशल मीडिया पर लोगों से बाबरी ढाँचे के पुनर्निर्माण का आह्वान किया है।
अदालत के फैसले को ‘न्यायिक कारसेवा’ कहकर खारिज करते हुए कुछ इस्लामवादियों ने मुस्लिमों को बरगलाना शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों से पहले से निर्माण की जा रही राम मंदिर स्थल पर बाबरी ढाँचे के पुनर्निर्माण करने के लिए लोगों को सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए भड़काया।
अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कुछ कट्टरपंथियों द्वारा उत्तेजक पोस्टरों के जरिए मुस्लिमों को बाबरी ढाँचे के पुनर्निर्माण के लिए उकसाया गया है, ताकि 2019 में हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले (हिंदुओं को राम मंदिर बनाने के लिए दी गई जमीन) के विरोध में आपसी फुट डाल कर साम्प्रदायिक हिंसा को बढ़ावा दिया जाए।
फ्रेटरनिटी मूवमेंट-वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया का छात्र युवा विंग- हैशटैग #RebuildBabri के साथ सोशल मीडिया पर एक अभियान चला रहा है। इस संगठन द्वारा अपने सोशल मीडिया पेजों पर एक पोस्टर साझा किया गया है, जिसमें मुस्लिमों को भड़काऊ संदेश दिया गया है कि भारत में उनके साथ विश्वासघात हुआ और धोखा दिया गया गया है। पोस्टर में मुस्लिमों को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हिंदुओं को दी गई भूमि को पुनः प्राप्त करने और उस पर बाबरी ढाँचे के पुनर्निर्माण करने का भी आह्वान किया गया है।
गौरतलब है कि दिल्ली में हिंसक दंगों के बाद जिहाद को लेकर जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विरोध का चेहरा बनी फरजाना ने पिछले साल खुले तौर पर अपने एक फेसबुक पोस्ट में जिहाद के लिए लोगों को उकसाया था।
उसने तब कहा था कि लोगों को इस्लामी जिहाद के बारे में सीखना चाहिए और इसके लिए बद्र, यूएचडी और कर्बला के संदर्भ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि शुरुआत में इन लड़ाइयों की वजह से मुस्लिमों ने काफ़िरों के खिलाफ निर्णायक जीत हासिल की थी। इसके अलावा, फ़रज़ाना ने उन नरसंहारियों को भी महिमामंडन किया था, जिन्होंने हिंदुओं को मोपला नरसंहार में मार दिया था।
फेसबुक पर, ‘वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया’ ने हाल के बाबरी विध्वंस के सभी 32 आरोपितों को बरी करने के ‘न्यायिक कारसेवा’ का रूप घोषित कर दिया। जाहिरतौर पर पोस्ट में भारतीय न्यायपालिका पर विवादास्पद ढाँचे के अनदेखी का आरोप लगाया।
इसके अलावा दोहा से एक अल जज़ीरा पत्रकार भी बाबरी ढाँचे की बहाली के अभियान में शामिल हो गया। उसने बाबरी विध्वंस मामले में सभी 32 अभियुक्तों को बरी करने के बारे में एक रिपोर्ट को साझा किया। फिर पत्रकार नौफ़ल पलेरी ने भी भारत में मुस्लिमों को बरगलाने का काम किया।
उल्लेखनीय है कि आज अयोध्या के बाबरी ध्वंस मामले में सीबीआई के स्पेशल जज एसके यादव ने 2000 पन्नों का जजमेंट (फैसला) दिया। इस मामले में सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अयोध्या में बाबरी ध्वंस साजिशन नहीं हुआ, ये पूर्व-नियोजित नहीं था। इसे संगठन ने रोकने की भी कोशिश की, लेकिन घटना अचानक घट गई। इसके साथ ही सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया है।
इस दौरान लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और महंत नृत्य गोपाल दास उम्र और अस्वस्थता के कारण अदालत में उपस्थित नहीं थे। उमा भारती कोरोना की वजह से नहीं आ सकीं। सतीश प्रधान भी नहीं थे। हालाँकि, ये सभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से फैसला सुनाने के समय उपस्थित थे। इस दौरान मीडिया तक को भी कोर्ट परिसर में जाने की अनुमति नहीं थी। सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी गई है। आसपास की दुकानें भी बंद थीं।