अफगानिस्तान में तालिबानियों के कब्जे के बाद भी भारत का लिबरल गिरोह इस मुद्दे पर पूरी तरह से शांत बैठा हुआ है। यदि कोई इस मामले पर लिख भी रहा है तो केवल और केवल दक्षिणपंथियों को निशाना बनाते हुए। इजरायल और फलीस्तीन के विवाद के दौरान फलीस्तीन को खुल कर अपना समर्थन देने वाला ये गुट अब ऐसा बर्ताव कर रहा है जैसे इनका अफगानिस्तान के हालातों से कोई लेना-देना ही न हो।
आरफा खानुम शेरवानी तो इन हालातों पर भी दक्षिणपंथियों को कोसने से बाज नहीं आ रहीं। आरफा लिखती हैं, “दक्षिणपंथी भारतीय मुसलमानों को ट्रोल कर रहे हैं क्योंकि तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया है। सबसे बड़ी मानव त्रासदी भी इनके लिए केवल अवसर है। शर्म आनी चाहिए तुम्हें संघियों!”
Right Wing is mocking and trolling Indian Muslims because Taliban have taken over Kabul.
— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) August 15, 2021
Even the worst human tragedies and miseries are just an ‘opportunity’ for them.
Shame on you, Sanghis !
अब दिलचस्प बात ये है कि आरफा खानुम शेरवानी के लिए मुद्दा ये है कि ‘संघी’ भारतीय मुसलमानों से सवाल कर रहे हैं और दूसरी ओर एक क्लबहाउस टॉक की ऑडियो वायरल हो रही है। इस ऑडियो में ‘भारतीय मुसलमान’ इस बात का जश्न मना रहे हैं कि अफगानिस्तान में तालिबान ने कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति अशरफ गनी रिजाइन देकर, देश छोड़ कर चले गए हैं।
Listen to this
— Flt Lt Anoop Verma (Retd.) 🇮🇳 (@FltLtAnoopVerma) August 15, 2021
Note all these handles
And See what are they discussing
They are all Indian Handles
Quite disgusting & shameful
Arfa, Rana, Saba, Zainab, Farah, Seemi, Sayema & Swara … all think like this pic.twitter.com/Skq5Rd4qVD
इसके अलावा कई कट्टरपंथी हैं, जो आकर पूछ रहे हैं कि आखिर लोगों को समस्या क्या है अगर कुछ लोगों ने अपने देश को वापस से पा लिया है।
I don’t understand why some Muslims are so butthurt about a native people of a country taking control of their country back from foreign occupation and their sellout tyrant puppets.
— علي (@OpusOfAli) August 15, 2021
दूसरा यूजर लिखता है, “अगर तुमको समस्या है कि मुस्लिम सरकार शरीया कानून मुस्लिमों के लिए लगा रही है तो तुम्हें सेकुलर लोगों से भी समस्या होनी चाहिए कि वो सेकुलर लोगों पर सेकुलर लॉ लगा रही है? लेकिन यहाँ तो सेकुलर लॉ सब पर लगता है।”
— Kiki ا (@UrbanXpat) August 15, 2021
इनके अलावा ट्विटर पर कुछ घोर लिबरल किस्म के लोग भी हैं। इनसे डायरेक्ट तालिबान के ख़िलाफ़ पोस्ट नहीं लिखा जा रहा। कुछ भी करके इन्हें उसमें भारत को जोड़ना है। एक जेएनयू के प्रोफेसर का ट्वीट देख कर तो ऐसा लगता है कि उन्हें याद ही नहीं है कि नरेंद्र मोदी सरकार लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता में आई है और उनके आने के 7 साल बाद भी देश लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। अफगानिस्तान के हालातों को भारत से जोड़ना केवल पूरे मुद्दे को दूसरी दिशा देने के अतिरिक्त और कुछ नहीं है।
Taliban’s return, humanitarian tragedy in Afghanistan & the consequent rise of extremism in the region r not in our interest. That’s a no-brainer.
— Happymon Jacob ഹാപ്പിമോൻ ജേക്കബ് (@HappymonJacob) August 15, 2021
What’s not so self-evident are its undeniable communal reverberations within India.
In the run up to 2024, things will get murkier.
brahman will go through the rituals for anyone.
— Aakar Patel (@Aakar__Patel) August 15, 2021
मालूम हो कि यह वही लोग हैं जिन्होंने भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत के बाद भी भारत के दक्षिणपंथियों को कोसने का काम किया था। लिबरल गिरोह के वरिष्ठ सदस्य रवीश कुमार ने तालिबानियों को प्रत्यक्ष रूप से दोषी बताने की जगह उन गोलियों को लानत भेजी थी जो दानिश के सीने पर लगीं और जिसके कारण उनकी मौत हुई। आज तालिबान अफगानिस्तान पर कब्जा जमा चुका है लेकिन लिबरल गिरोह किसी और मुद्दे को सोशल मीडिया पर भुनाने में लगा है। वहीं इस्लामी कट्टरपंथी हैं जिन्हें मजा आ रहा है कि तालिबानियों ने आजादी की जंग जीत ली है।