The Print की स्तम्भकार और स्वघोषित कॉन्ग्रेस ‘फैन‘ ज़ैनब सिकंदर ने ट्विटर पर दुःख जताया है कि उनकी दस साल से ज्यादा की फ्रेंड के संघी बॉयफ़्रेंड ने उन्हें शादी और बर्थडे पार्टी में नहीं आने दिया। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी दोस्त दिल्ली के ‘पॉश’ इलाके में रहती है।
निखिल वागले के प्रलाप में मिलाया सुर
दरअसल ट्विटर पर निखिल वागले ने हफिंगटन इंडिया की एक रिपोर्ट शेयर की थी, जिसमें बिना किसी सिर-पैर के दावा किया गया है कि दिल्ली की आवासीय कॉलोनियों में ‘एंटी-मुस्लिम’ भावनाएँ भड़काईं जा रहीं हैं।
WhatsApp Groups Reveal The Hate Against Muslims In Delhi’s Residential Colonies | HuffPost India https://t.co/2gh0qUuLxH
— nikhil wagle (@waglenikhil) August 3, 2019
इसी के सुर में सुर मिलाते हुए ज़ैनब ने उस ट्वीट को रीट्वीट किया। साथ में बताया कि उनकी दस साल से ज्यादा दोस्त रह चुकी लड़की ने, जो उच्च-मध्यम वर्ग की थी, उन्हें अपने बर्थडे की पार्टी में नहीं बुलाया क्योंकि उस दोस्त के नए-नए बने ‘संघी’ बॉयफ्रेंड को मुस्लिम पसंद नहीं थे। ज़ैनब के अनुसार उस दोस्त ने खुद यह कबूल किया। साथ ही ज़ैनब ने दावा किया कि उन्हें उस दोस्त की शादी में भी नहीं बुलाया गया।
My friend of over a decade,upper middle class family living in a “posh” area of Delhi,didn’t invite me for her birthday because her new bf,a self professed Sanghi,didn’t like Muslims.
— Zainab Sikander (@zainabsikander) August 3, 2019
She confessed this herself.
I was subsequently not invited for their wedding.
Everyday reality. https://t.co/wdxOXDTvS8
पवित्र किताब पर सन्नाटा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देश में बढ़ती नफ़रत के लिए ज़िम्मेदार बताने वालीं ज़ैनब को जब ‘पवित्र किताब’ के कुछ विवादित हिस्सों की याद दिलाई गई तो वह सन्नाटा मार कर बैठ गईं। लेखक संक्रांत सानु ने उनके ट्वीट पर तंज़ करते हुए ‘पवित्र किताब’ के मूल, अरबी रूप में से स्क्रीनशॉट पोस्ट किया और कहा कि यह असहिष्णु किताब भी “संघियों” ने ही लिखी होगी! उन्होंने यह भी लिखा कि एकेश्वरवाद में दूसरों के ‘नकली देवताओं’ से नफ़रत ज़रूरी है, जो एकेश्वरवादी पंथों के ‘ईश्वर का आदेश’ है, कोई आकस्मिक चीज़ नहीं।
Bigotry is mandated by monotheism which rails against the “false gods” of others. It is not accidental or anecdotal but part of their “God’s commandments.”
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) August 3, 2019
उन्होंने ‘लोग सही तरह से समझे नहीं’ के प्रोपेगंडा को भी ठेंगा दिखाते हुए याद दिलाया कि आइएस का मुखिया बगदादी इस्लामिक स्टडीज़ में पीएचडी था, तालिबान के नेताओं ने अपनी पूरी ज़िंदगी ‘पवित्र किताब’ को पढ़ने में लगा दी थी। इसके बाद उनके द्वारा निकाले गए निष्कर्ष अगर गलत हैं, तो यह तो बड़ी समस्या की बात है।
And which of the verses are “allegorical” and which are not? The Taliban spend a lifetime studying the Book, they don’t get it? #ISIS Baghdadi has a Ph.D. in Islamic Studies, he doesn’t get it? That’s a real problem isn’t it?https://t.co/pXlVnRSMZV
— Sankrant Sanu सानु (@sankrant) August 3, 2019
अंत में उन्होंने ज़ैनब को सलाह दी कि उनके जैसे ‘लिबरल’ मुस्लिम अगर इस्लामी असहिष्णुता के ख़िलाफ़ लड़ने में अपना वक्त खपाएँ, बजाय ‘संघियों’ को कोसने के, तो वे समाज में एक सकारात्मक योगदान करेंगे।