सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर Vision IAS के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इससे पहले इस्लामी प्रोपेगेंडा फैलाने का एक वीडियो वायरल था जिसे लेकर कल से ही हंगामा जारी है। इसमें महिला टीचर छात्रों को ‘भक्ति आंदोलन’ पढ़ा रही हैं और समझा रही हैं कि कैसे ये आंदोलन इस्लामिक लिबर्टी के कारण शुरू हुआ। वहीं अब हिन्दू धर्म की कई दूसरी मान्यताओं पर भी कटाक्ष करते हुए इस्लाम को बेहतर बताया गया है। ज़्यादातर वीडियो में भक्ति आंदोलन के नाम पर या समाज और परिवार समझाते हुए द्रौपदी आदि के बहाने हिन्दू धर्म को ही निशाना बनाया गया है।
दूसरे वीडियो में नींबू-मिर्ची और नारियल फोड़ने पर व्यंग्य है। वहीं संयुक्त परिवार पढ़ाते हुए संयुक्त परिवार की अवधारणा को कॉमन प्रॉपर्टी, सेक्सुअल ग्रैटिफिकेशन, रिप्रोडक्शन तक केंद्रित कर दिया गया है।
Joint Family satisfies our sexual gratification. Marriage serves the purpose. And finally Reproduction.
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
Charan kaha hai iss devi ke. pic.twitter.com/9m9GdvMqSj
वहीं हरियाणा-पंजाब के बहाने पॉलीएंड्री पर बात की गई है कि पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में संपत्ति को बचाए रखने के लिए कई बेटों के लिए एक पत्नी खरीदी जाती है। इस वीडियो में द्रौपदी का भी उदाहरण दिया गया है।
Parenting bhi seekh lo.
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
Kids didn’t ask parents to give birth. pic.twitter.com/Ot3BiWlnwI
वहीं एक वीडियो में भारतीय पैरेंटिंग सिस्टम का भी मजाक बनाया गया है।
वहीं हिन्दुओं के त्योहारों का भी मजाक बनाया गया है। इसमें दिवाली का उदाहरण देते हुए कहा गया है कि दिवाली पर गिफ्ट देने का कल्चर नहीं था।
Owaisi ko suno, Tharoor ko suno. Fascism aa raha hai. pic.twitter.com/qGRTTVys0a
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
वहीं एक और वीडियो में फासिज्म पर बात करते हुए ओवैसी को विद्वान बताते हुए शशि थरूर, ओवैसी के भाषणों को सुनने की अपील की गई है।
इन सभी वीडियो में सबसे अधिक विवाद इस्लाम को लिबरल बताने और उसे सबसे अच्छा मजहब घोषित करने पर है। वीडियो में महिला टीचर पूछती हैं कि बताओ भक्ति आंदोलन का उद्देश्य क्या था। बच्चे जब जवाब में समानता बोलते हैं तो टीचर कहती हैं। सातवीं-आठवीं शताब्दी में कुछ नहीं था, इस्लाम आ गया था। इसलिए ये शुरू हुआ।
She definitely has a thing or two for #Bhakts / #Bhakti. pic.twitter.com/p8jvqTcdXX
— Wokeflix (@wokeflix_) February 28, 2022
वह कहती हैं, “इस्लाम था बहुत लिबरल। वह समानता के बारे में बात करता था। कोई जाति व्यवस्था भी नहीं थी। अगर इस्लाम पढ़ा होगा तो एक चेरामन जुमा मस्जिद है जिसका मिनिएचर आपके पीएम ने सऊदी किंग को दिया । ये भारत का पहला मस्जिद है जो 7वीं-8वीं शताब्दी में बना। तब इस्लाम आया नहीं था। लेकिन इस्लाम आना शुरू हो गया था। उस समय वह उदारवाद, समानता के बारे में बात कर रहे थे। वह किसी भी तरह की कठोरता और जातिवाद से मुक्त थे। इस्लाम की एक खासियत थी जिसमें वह ईश्वर (अल्लाह) के प्रति पूरे समर्पण को लेकर बात करते थे। वे एक ईश्वर के कॉन्सेप्ट पर बात कर रहे थे।”
महिला टीचर कहती हैं, “इस्लाम का कहना था कि अगर एक ही अल्लाह है। उसी ने सबको बनाया है। इसका मतलब है कि सब एक ही हैं। वह सार्वभौमिक भाईचारे के बारे में बात कर रहा था। यही वजह है कि इस्लाम की ओर लोग आकर्षित होने लगे। जो लोग निम्न वर्ग के थे वो भी अपना स्तर बढ़ाने के लिए इस्लाम में आने लगे। उस समय था जब हिंदू सभ्यता के अस्तित्व पर खतरा आ गया। जब लोगों को कछ समझ नहीं आया तो उन्होंने भक्ति आंदोलन की शुरुआत की। वह बताना चाहते थे कि इस्लाम जैसा ही हिंदू धर्म है। ज्यादा फर्क नहीं है। थोड़ा 1 भक्ति आंदोलन में भी पूर्ण समर्पण और पूर्ण आस्था की बात हुई।”
जब से यह वीडियो वायरल हुए हैं तभी से सोशल मीडिया पर लोग दो चीजों पर सवाल कर रहे हैं। एक बात तो ये कि आखिर हिंदुत्व को इतना नीचा दिखाने का प्रयास बुद्धिजीवियों द्वारा क्यों किया जा रहा है? और दूसरा सवाल ये कि इस्लाम का महिमामंडन करके छात्रों का ब्रेनवॉश इस स्तर तक कैसे किया सकता है। लोग तंज कस रहे हैं कि गजनवी और बाबर न केवल सेकुलर लोग थे बल्कि लिबरल भी थे। उन्होंने भातीयों को सेकुलरिज्म का पाठ पढ़ाया और भारत में चल रहे भक्ति आंदोलन से निजात दिलाई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वीडियो में नजर आने वाली महिला टीचर का नाम स्मृति शाह है। जो पूर्व में आईएस परीक्षाओं की तैयारी करती थीं, लेकिन उनका एग्जाम नहीं क्लियर हुआ। ट्विटर पर इन्हें लेकर कहा जा रहा है कि स्मृति भारतीय समाज के बारे में बारे में विजिन आईएएस में पढ़ाती हैं। वह वामपंथी हैं और मोदी/भाजपा से नफरत करने वाली हैं।
वहीं इस महिला वामपंथी टीचर के कई वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया पर कोचिंग सेंटर से जब खूब सवाल किए गए और एक ही दिन में उनकी ओर से जवाब भी आ गया। बयान में Vision IAS ने अपनी फैकल्टी की बात जस्टिफाई करते हुए लोगों को बताया है कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है वो वीडियो अब उनके किसी आधिकारिक प्लेटफॉर्म पर मौजूद नहीं है।
अपने बयान में विजन आईएएस ने दावा किया है कि उनका मकसद किसी की भावनाएँ आहत करना नहीं था। हालाँकि अब भी कुछ लोग इस माफी से संतुष्ट नहीं है। कोचिंग सेंटर के लिए कहा जा रहा है कि वो बच्चों को फर्जी इतिहास पढ़ा ही क्यों रहे हैं। जब चौथी सदी में बौद्ध धर्म आया, छठी सदी में जैन, तो फिर भक्ति आंदोलन के पीछे इस्लाम को कारण कैसे बताया जा सकता है।