चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम चाँद पर उतरने ही वाला ही था कि इसरो के साथ उसका कनेक्शन टूट गया। कुछ अनपढ़ लोगों ने इसे इस तरह से समझा कि चंद्रयान-2 फेल हो गया। जैसे ही ये न्यूज़ मीडिया में आई कि लैंडर विक्रम से कनेक्शन टूट गया, कुछ लोग फेसबुक पर ख़ुशी से झूम उठे। हमने कुछेक मीडिया संस्थानों के ऐसे पोस्ट्स खंगाले, जिसमें इस न्यूज़ को ब्रेक किया गया था या फिर इस सम्बन्ध में जानकारी दी गई थी। ऐसे पोस्ट्स पर ‘हाहा’ का रिएक्शन देने वाले वही लोग थे, जिनका ‘कोई मज़हब नहीं होता’।
उदाहरण के तौर पर ज़ी न्यूज़ की इस वीडियो पर हाहा रिएक्शन देने वाले लोगों के नाम देखिए। इनकी संख्या क़रीब हज़ार में है लेकिन 90% से भी ज्यादा लोगों की ख़ासियत यह है कि ‘इनका कोई मज़हब नहीं है’।
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, ‘हाहा’ का रिएक्शन देने वालों में सभी मजहबी नाम वाले शख्स हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि ये सभी पाकिस्तानी हैं तो आप ग़लत हैं। इसमें कई भारतीय भी हैं। कहने का अर्थ यह कि हर क्षेत्र के समुदाय विशेष ने इसरो के मिशन का मज़ाक उड़ाया। अब उन्हें कौन बताए कि चंद्रयान-2 का जो लक्ष्य था, उसका 95% प्राप्त करने में भारत सफल रहा है और भविष्य में यह और बड़ी सफलता का आधार बनेगा।
सिर्फ़ ज़ी न्यूज़ ही नहीं बल्कि कई अन्य मीडिया संस्थानों के फेसबुक पेज पर भी ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला। ट्विटर पर भी कई लोगों ने जम कर इसरो का मज़ाक बनाया। हालाँकि, इस दौरान ट्विटर पर अधिकतर सकारात्मक ट्वीट्स ही दिखे, जिसमें लोगों ने इसरो की तारीफ की और वैज्ञानिकों का हौंसला बढ़ाया। यहाँ तक कि विश्व की सबसे बड़ी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का भी चाँद को लेकर 40% मिशन फेल हुए हैं लेकिन ‘हाहा’ का रिएक्शन देने वालों को यह भी पता नहीं।