ओवैसी के ये सारे आरोप महज राजनीति से ही प्रेरित नजर आते हैं क्योंकि प्रधामंत्री कार्यालय की तरफ से इस संदर्भ में जो प्रेस रिलीज जारी की गई है, उसमें यह स्पष्ट तौर पर रेखांकित है कि प्रधामंत्री इस विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली मीटिंग में सिर्फ उन्हीं राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर्स से बात करेंगे, जिनके सदस्यों की संख्या दोनों सदनों में मिलाकर कम से कम 5 है।
एआईएमआईएम का विधायक खुद ही कह रहा है कि उसका फोन क्यों नहीं उठाया गया। इस घटना के बाद वीडियो वायरल से विधायक और उसके बदमाशों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने की माँग को लेकर अस्पताल का समूचा स्टाफ अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गया है। हालाँकि, कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों और एमरजेंसी चिकित्सा सुविधाएँ चालू रखी गई हैं।
पिछले तीन महीनों के उपद्रवों और फसादों के पीछे विपक्षी दलों की भड़काऊ बयानबाजी का सबसे महत्त्वपूर्ण रोल रहा है। पहले कॉन्ग्रेस की सोनिया गाँधी आदि का "आर-पार" की लड़ाई जैसे बयान आए, जिसमें उन्होंने सीएएए का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि कॉन्ग्रेस इस तरह का विरोध करने वाले लोगों के साथ खड़ी है।
अमित शाह ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने 27 फरवरी से आज तक 700 से ज्यादा FIR दर्ज की हैं और 2,647 लोगों को हिरासत में लिया है। इस दौरान शाह ने ओवैसी पर निशाना साधते हुए कहा कि CCTV फुटेज में व्यक्ति का चेहरा दिखाई देता है यह न तो कोई धर्म देखता है और न ही किसी के कपड़े, क्योंकि ओवैसी ने आरोप लगाया था कि एक ही धर्म के लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है।
"अगर शहर में गोली चलती है और किसी को गोली लगती है, तो कोई केस क्यों दर्ज नहीं किया गया? FIR क्यों दर्ज नहीं की गई? क्या शहर के लोग बेवकूफ हैं? शहर के लोगों को पता नहीं चलता कि गोली चलती है और एफआईआर दर्ज नहीं होती? साहब हम भी समझते हैं कि क्या हालात हैं... अगर इस तरह होता रहा तो शहर की अवाम खामोश नहीं बैठेगी।"
अमूल्या लियोना एक पेड प्रोटेस्टर है। पुलिस को उसने बताया कि उसका भाषण भी सीएए विरोधी ही तैयार करते हैं। फिलहाल वह देशद्रोह के मामले में जेल में है। उसे बेंगलुरू में ओवैसी के मंच से नारे लगाने के बाद गिरफ्तार किया गया था।
सुब्रमण्यम स्वामी ने ईसाइयत, इस्लाम और हिन्दू धर्म के बीच का फर्क बताते हुए कहा, "हिन्दू धर्म जहाँ प्रत्येक मार्ग से ईश्वर की प्राप्ति सम्भव बताता है, वहीं ईसाइयत और इस्लाम दूसरे धर्मों को कमतर और शैतान का रास्ता करार देते हैं।"