विधायकों का इस्तीफा ऐसे वक्त पर आया है, जब मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी अमेरिका में हैं। वहीं इनमें से 3 विधायकों का कहना है कि वह पूर्व सीएम सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं।
अगर ये 11 विधायक इस्तीफा दे देते हैं, तो कुमारस्वामी सरकार खतरे में पड़ जाएगी और कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली कुमारस्वामी की सरकार गिर सकती है और ऐसे में राज्य में भाजपा के लिए राज्य में सरकार के गठन का रास्ता साफ हो जाएगा।
अभिषेक मनु सिंघवी ने आरफा पर आक्षेप करते हुए जवाब दिया है। सिंघवी ने जोर देकर कहा कि उनके जैसे प्रभावशाली लोगों के प्रत्यावर्ती और पुरातन (पुराने)आदर्शों का समर्थन करने की वजह से ही देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पिछड़ी बनी रहेगी।
बेटे के इस व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने कहा , "हाइवे के लिए प्रदर्शन ठीक है, लेकिन हिंसा पूरी तरह गलत है।" उन्होंने कहा, "यदि एक पिता बगैर गलती के माफी मांग सकता है तो बेटे को माफी मांगनी पड़ेगी।"
"जिस देश में गाँधी विचारधारा का नेतृत्व करने वाले नेता को लोग अनसुना एवं अनदेखा कर दें, उस देश में जीने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। मुझे देश की न्याय प्रणाली पर विश्वास है और इच्छा मृत्यु की अनुमति चाहिए।"
वीडियो में देखा जा सकता है कि नीतेश इंजीनियर को धमका रहे हैं और इसी दौरान उनके समर्थक बाल्टी भर कीचड़ इंजीनियर पर उड़ेल देते हैं। इसके बाद भी उनका गुस्सा शांत नहीं हुआ तो एक नदी पर बने पुल की रेलिंग में इन लोगों ने इंजीनियर को बाँध दिया।
“लोकसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस पार्टी की हार और संगठनात्मक कमज़ोरी के लिए हम पदाधिकारीगण उत्तरदायी हैं। असम में पार्टी द्वारा अपेक्षित स्तर का प्रदर्शन न कर पाने के लिए प्रभारी के रूप में मैं उत्तरदायी हूँ। मैंने अपनी कमी को स्वीकारते हुए अपने महामंत्री के पद से पूर्व में ही त्यागपत्र दे दिया है।”
कॉन्ग्रेस ने अपने विधायकों से कहा है कि वे चुनाव खत्म होने तक सीएम विजय रुपानी, उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल या किसी अन्य मंत्री से न मिलें, भले ही जनता का ही कोई काम क्यों न हो। अगस्त 2017 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भी कॉन्ग्रेस ने अपने विधायकों को बंगलोर के एक रिसोर्ट में ठहराया था।
जनता वापिस कॉन्ग्रेस के 'माई-बाप समाजवाद' के युग में नहीं जाना चाहेगी, जहाँ राहुल गाँधी जनता को आर्थिक रूप से सरकार पर निर्भर रखना चाहते थे या जहाँ फ़ाइलें इतना धीमें चलें कि नेहरू द्वारा उद्घाटित सरदार सरोवर बाँध का लोकार्पण मोदी के हाथों हो।