अपने मनसूबों को विफल होता देख तस्करों ने सुरक्षाबलों पर घातक हमला भी किया। लेकिन फिर भी जवानों ने हार नहीं मानी और सीमा पार होने वाली अवैध तस्करी को नाकाम कर दिया।
कथित पशु तस्करों के परिजनों ने ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस पशु तस्करों के आपराधिक रिकॉर्ड की जॉंच भी कर रही है। मृतकों की पहचान नौशाद क़ुरैशी, राजू नट और वीरेश नट के रूप में की गई है।
अलवर की एक अदालत ने ग़ैर-क़ानूनी तरीके से गोवंश की ढुलाई के आरोपित पहलू ख़ान के दो बेटों और एक ट्रक ऑपरेटर के ख़िलाफ़ आगे जाँच करने की अनुमति दे दी है। अदालत ने गौ तस्करी मामले में आगे की जाँच के लिए पुलिस द्वारा दी दलील स्वीकार कर ली है।
आजमगढ़ के एसपी त्रिवेणी सिंह ने बताया कि इस गैंग को धरने वाली पुलिस टीम को 25,000 रुपए के पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने बताया कि मुखबिर से आजमगढ़ के कोतवाली क्षेत्र में गोकशी का काम किए जाने की सूचना मिली थी।
अलवर जिले के बेहरोर कस्बे में 29 मई 2019 को बहरोड़ के एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में यह चार्जशीट पेश की गई। इस चार्जशीट में पहलू खान और उनके बेटों पर राजस्थान गोवंशीय पशु (वध निषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात पर प्रतिबंध) अधिनियम, 1995 की धारा 5, 8 और 9 के तहत चार्जशीट दायर की गई है।
जब तत्कालीन भाजपा सरकार ने पहलू खान और उनके बेटों पर गो-तस्करी का आरोप लगाया था तो कॉन्ग्रेस ने बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद पर प्रतिबंध लगाने की माँग की थी और आरोप लगाया था कि राज्य में गो-रक्षा के नाम पर सांप्रदायिक तनाव को भड़काने की कोशिश की जा रही है। और अब सत्ता में आते ही राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ने पहलू खान को गो-तस्करी के में मामले में अपराधी बताया है।
इससे पहले की एक घटना में, अलवर ज़िले के तिजारा क्षेत्र में, जो मेवात के अंतर्गत आता है, पुलिस ने अरंडका गाँव में निषाद नाम के एक व्यक्ति के घर पर छापा मारा था और गायों का माँस और खाल बरामद की थी। पुलिस ने पास के खेत में 4-5 संदिग्धों को हिरासत में लिया था।
समाज इस भरोसे से अहिंसक होता है कि उसे अन्याय से लड़ने के लिए हथियार उठाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। राजस्थान सरकार अलवर के किसानों को यह भरोसा दे सकती है?