Sunday, November 17, 2024

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जवाहरलाल नेहरू

‘अगर चंद्रयान नेहरू की देन, तो अमेरिका को चाँद पर हिटलर ने भेजा’

बकौल रंगनाथन, अगर कॉन्ग्रेस चंद्रयान-2 का श्रेय नेहरू को देना चाहती है तो ऐसे तो अमेरिका के मानव को चन्द्रमा पर भेजने का श्रेय भी हिटलर को जाएगा।

चंद्रयान-2: ‘नेहरू ने चाँद की खोज की… या चाँद ने खुद नेहरू को खोजा’

कॉन्ग्रेस के इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर सक्रिय यूजर्स उनका जमकर मजाक उड़ा रहे हैं। पुराने समय की तस्वीरे पोस्ट की जा रही है और याद दिलाया जा रहा है कि गाँधी परिवार के राज में मिसाइल का सामान किस तरह साइकिल पर जाता था जबकि नेहरू परिवार एरोप्लेन में सफर करता था।

कॉन्ग्रेस और मजहब विशेष के अवैध प्रवासियों की प्रेम कहानी: नेहरू से ‘गाँधी’ तक तुष्टिकरण का चरम

30 सालों से अटके हुए काम को मोदी सरकार ने 5 साल में पूरा किया। अगर मोदी सरकार वापस न आती तो शायद एनआरसी की फाइनल रिपोर्ट की संभावना ही न होती।

कहानी राजर्षि की: जिसे बोस और पटेल की तरह कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का पद त्यागना पड़ा, कारण- नेहरू

एक ऐसा राजर्षि, जिसने गाँव-गाँव में कॉन्ग्रेस को मजबूत करने में अपनी ज़िदगी खपा दी और लोकतान्त्रिक तरीके से जीत कर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बने। लेकिन, नेहरू के 'असहयोग' के कारण भारत रत्न टंडन को राजनीतिक वनवास पर जाना पड़ा। पटेल और बोस के बाद ऐसा त्याग करने वाले तीसरे नेता की कहानी।

गाँधी-नेहरू के बजाए The Hindu के मुहम्मद इक़बाल ने तलाश ली नए लोकसभा अध्यक्ष की जाति

...लेकिन 2019 के चुनावों के बाद से इन नमक-हराम मीडिया गिरोहों ने नेहरू को ऐसे निकाल फेंका है जैसे लोग चाय में से मक्खी को निकाल फेंकते हैं। मीडिया अब समझ गया है कि वो नेहरू को गन्ने की तरह गन्ने की मशीन में ठूँसकर जितना निचोड़ सकते थे, निचोड़ चुके हैं।

मिस्ट्रेसीकरण, ससुरालीकरण, राजनीतिकरण: दांडी यात्रा के बाद विन्ची-गाँधी यात्रा के 3 प्रमुख पड़ाव

जो मीडिया और क्रांतिजीव 5 साल तक मोदी की विदेश यात्राओं का लेखा-जोखा करते रहे, उन्हें नेहरू से लेकर राजीव गाँधी के भ्रमणों से रूबरू होना चाहिए, ताकि वो उसकी समीक्षा कर के बता सकें कि मिस्ट्रेसीकरण और ससुरालीकरण उनकी किसी विदेश नीति का हिस्सा थे?

राजीव ने ‘शाही छुट्टियों’ के लिए तो नेहरू ने लेडी माउंटबेटन के ‘सम्मान’ में किया था नेवी वॉरशिप का निजी उपयोग

निजी कारणों के लिए नौसेना की संपत्ति का उपयोग करने की परंपरा राजीव गाँधी द्वारा शुरू नहीं की गई थी। जवाहरलाल नेहरू ने इस पुश्तैनी परंपरा की शुरुआत की थी वो भी "आदमखोर" महिला मित्र एडविना माउंटबेटन के लिए।

‘कॉन्ग्रेस में पढ़ने-लिखने वालों का अभाव’ – क्या दिग्विजय का इशारा राहुल गाँधी की ओर है?

"पंडित नेहरू के बाद से किसी कॉन्ग्रेसी ने बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया है। पार्टी में लिखने-पढ़ने की, मतलब विचारों के आदान-प्रदान की परिपाटी ख़त्म हो गई है। आज भी सोच-विचार में मेरी पार्टी, भाकपा, माकपा, और यहाँ तक कि मार्क्सवादी-लेनिनवादी भाकपा (माले) से प्रेरणा लेती है।"

मोदी कर रहे नेहरू का सबसे बड़ा मलाल मिटाने की कोशिश, विपक्ष लगा रहा अड़ंगा: पूर्व कॉन्ग्रेस नेता

आरिफ मोहम्मद खान ने यह विश्वास जताया कि नेहरू आज जहाँ कहीं होंगे, मोदी से अपना यह मलाल मिटाने के लिए बहुत खुश होंगे।

नेहरू और भारत एक भैंस: श्वेत-धवल बगुलों के सरगना का सिलसिला बदस्तूर जारी

देश में गरीब हैं, गरीबी है। कैसे निपटा जाए इनसे… नेहरू ने कहा, लोड मत लो - 'गरीबी हटाओ' का नारा लगाओ और मस्त रहो। और आज जबकि 1969 में शुरू की गई इस योजना के 50 साल पूरे हो रहे हैं तब आपको मानना ही पड़ेगा कि नेहरू; राजकपूर से भी बड़े शो मैन और छलिया थे।

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