"पूरी हिंसा के लिए कट्टरपंथी समूहों और मुख्यधारा की राजनैतिक पार्टियाँ जिम्मेदार हैं। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समेत समाजवादी पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भड़की हिंसा के लिए उत्तरदायी हैं।"
"मैं CAA और NRC के समर्थन में निकाली गई रैली में शामिल नहीं हो सका, क्योंकि मैं मीटिंग में बिज़ी था। मैं इसके लिए दु:ख व्यक्त करता हूँ। शिवसेना हमेशा से हिन्दुत्ववादी विचारधारा वाली पार्टी रही है। मैं इन दोनों मुद्दों का पुरज़ोर समर्थन करता हूँ, इसलिए मैं इस बारे में पत्र लिख रहा हूँ।"
अरुंधति रॉय ने कहा कि पीएम मोदी ने जानबूझ कर झूठ बोला क्योंकि उन्हें पता है कि मीडिया उनके हाथ में है, जो सच्चाई नहीं दिखाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि यूपी पुलिस मुस्लिमों के घर-घर जाकर उन्हें लूट रही है।
अब तक के आँकड़ों के अनुसार, कुल 5558 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इसके अलावा 925 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। अब तक 213 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। अकेले कानपुर में 21,500 उपद्रवियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
आज कॉन्ग्रेस CAA का विरोध कर रही है। इसका कोई आधार नहीं है। जरूरत है उसके नेता इतिहास को समझें। नेहरू मंत्रिमंडल में राहत और पुनर्वास के लिए अलग से मंत्रालय था। मोदी सरकार ने उसी प्रक्रिया का सरलीकरण किया है।
पहले मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया गया। अब राणा अयूब सोशल मीडिया में मरने वालों का नाम लिख कर लोगों को भड़काने की फिराक में है। इसे मुस्लिम विरोधी नरसंहार बता रही। लेकिन, उन्होंने उन दो हिंदुओं के नाम छिपा लिए हैं जो दंगों की भेट चढ़ गए।
एनपीआर को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद से विपक्ष उसी तरह अफवाह फैलाने में जुट गया है जैसा उसने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर किया। जिस तरीके से CAA को NRC से जोड़ा गया, उसी तरह अब NPR को भी NRC से जोड़कर दिखाने की कोशिश हो रही है। जबकि हकीकत कुछ और ही है।
"हम अपना घर, जमीन सब पीछे छोड़ आए हैं... सब कुछ पाकिस्तान में है। अब यही हमारा घर है। अगर आप हमें स्वीकार नहीं करेंगे तो हम कहाँ जाएँगे? कृपया हमारी पीड़ा को समझें और जो कुछ हमारे घाव को भरने की कोशिश चल रही है, उसका विरोध न करें।’’
मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?
एनपीआर को लेकर भी लोगों में भ्रम न फैलाया जाए। उसे मद्देनजर रखते हुए ANI को दिए इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने, एनपीआर, एनआरसी, सीएए और डिटेंशन सेंटर जैसे मुद्दों पर खुलकर जवाब दिया।