बांग्लादेश के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमिन का कहना है कि शरणार्थियों को आने देने पर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार समूहों के कहने के बावजूद बांग्लादेश अपने दक्षिण-पूर्वी तट पर समुद्र में फँसे सैकड़ों रोहिंग्याओं को आने-जाने की अनुमति नहीं देगा।
इस हत्याकांड को 15 अगस्त 1975 को अंजाम दिया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद से मजीद फरार चल रहा था। उसे 7 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। पूछताछ में उसने बताया कि वह बीते 4 साल से कोलकाता में छिपा था। फरारी के दौरान वह पाकिस्तान और लीबिया में भी कुछ दिन रहा था।
जगनेश्वर रॉय संत गौरियो मंदिर के प्रमुख महंत थे। कुछ हथियारबंद बदमाशों ने उनकी गला काटकर निर्ममता से हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने जहाँगीर हुसैन उर्फ राजीब गाँधी, रजीबुल इस्लाम उर्फ बादल, आलमगीर हुसैन और रमजान अली को फाँसी की सजा सुनाई है।
एनजीओ के सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि आरोपित बांग्लादेशी नागरिक पीड़ित नाबालिग लड़की को कुछ महीने पहले नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला कर बेंगलुरू लाए थे। इसके बाद उसे कडुगोड़ी के एक घर में रखा गया, जहाँ पीड़िता को प्रताड़ित किया गया और उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया।
क्षमता से ज्यादा भरी हुई लकड़ी की नाव में रोहिंग्या समुदाय के लोग बांग्लादेश के तटवर्ती इलाके कॉक्स बाजार से मलेशिया की ओर जा रहे थे, तभी नाव बंगाल की खाड़ी में डूब गई। तटरक्षक बल, नौसेना के गोताखोरों और अन्य बचाव दल ने अभी तक 14 महिलाओं, एक बच्चे और एक आदमी के शव को बरामद किया।