"यह रोमांचक है कि बीजेपी और इससे संबंधित संस्थाएँ अब शिक्षा व्यवस्था के बारे में सोचना शुरू कर रही हैं। हालाँकि मुझे आश्चर्य हो रहा है कि जिसे थिंंक टैंक कहा जाता है, उसे यह मालूम नहीं है कि दिल्ली सरकार में भर्तियों की जिम्मेदारी BJP के एलजी की है।"
इस पत्र में उसी भावना का इजहार किया गया है जिसका राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए किया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस का मुकाबला किसी राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि पूरी सरकारी मशीनरी से था। उन्होंने संवैधानिक संस्थाओं के तटस्थ नहीं होने की बात भी कही थी।
मनोज तिवारी ने मनीष सिसोदिया पर घोटाला करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की माँग की है। उन्होंने कहा कि जिस लोकपाल की बात केजरीवाल करते थे, वो उसी लोकपाल को इस घोटाले की जानकारी देने जा रहे हैं।
सांसद बनने के बाद खाली हुई सीटों पर कई सांसद अपने परिजनों को उतारने की तैयारी में थे। पार्टी ने इसे भाँपते हुए साफ कर दिया कि किसी भी जीते हुए सांसद के किसी भी रिश्तेदार को टिकट नहीं दी जाएगी। पार्टी के इस फैसले ने इन लोगों के इरादों पर पानी फेर दिया।
"प्रहलाद नगर ही नहीं, मेरठ के चार थाना क्षेत्रों - कोतवाली, देहलीगेट, लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाना क्षेत्र के करीब 30 मोहल्लों से 'संप्रदाय विशेष' से डर कर हिंदू आबादी अपना मकान बेचकर जा चुकी है।"
रेड्डी ने हाल ही में आशंका जताई थी कि अगर टीडीपी का यही रवैया रहा तो तेलंगाना में पार्टी अपने संगठन को खो देगी। वहीं अगर बोड़ा जनार्दन की बात करें तो वह वह चेन्नूर विधानसभा क्षेत्र से 4 बार विधायक रह चुके हैं। 1985 से लेकर 2004 तक वह लगातार 19 वर्षों तक क्षेत्र के विधायक रहे।
चूँकि गुजरात से राज्यसभा सांसद रहे अमित शाह गाँधीनगर से जीत कर लोकसभा सांसद बन चुके हैं और उसी तरह स्मृति ईरानी अमेठी से कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को हरा कर लोकसभा पहुँच चुकी हैं, गुजरात में इन दोनों की जगह भरी जानी है।
अलीपुरद्वार में कलचीनी से विधायक विल्सन चामपरामरी ने भाजपा में शामिल होने का ऐलान किया है। उन्होंने बताया कि वो सोमवार (जून 24, 2019) को भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि उनके साथ 18 पार्षद भी सदस्यता लेंगे। इसके साथ ही उन्होंने ये जानकारी भी दी कि पार्टी के कई और नेता भी भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी हाईकमान के संपर्क में है।
अधीर रंजन चौधरी अपनी बात रखते हुए भाषा पर नियंत्रण नहीं रख पाए। इस दौरान उन्होंने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने इंदिरा गाँधी की तुलना माँ से किया तो वहीं पीएम मोदी के लिए गंदी नाली शब्द का इस्तेमाल किया।
जब डॉक्टर मुखर्जी का पार्थिव शरीर कश्मीर से कोलकाता लाया जा रहा था, उससे पहले शेख अब्दुल्ला ने उनके पार्थिव शरीर पर कश्मीरी शॉल डाला था। शेख अब्दुल्ला सहित उनकी कैबिनेट के अनेक मंत्रियों ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया था। अब्दुल्ला ने एक माला बेगम अब्दुल्ला की तरफ़ से भी पेश किया था।