कवि मनोज मुंतशिर ने अपने उक्त वीडियो में मुगल बर्बरता का खुलासा किया है, जिसके बाद उन्हें लिबरलों, इस्लामियों और वामपंथी ‘इतिहासकारों’ के नफरतों का सामना करना पड़ रहा है।
तवलीन के दावों के विपरीत, 'लिबरल' और खुद को ‘मोडरेट’ बताने वाले भारतीय मुस्लिम नसीरुद्दीन शाह द्वारा तालिबान का पक्ष लेने के खिलाफ सलाह देने से काफी नाखुश थे।
"आज हर हिंदुस्तानी मुसलमान को अपने आप से यह सवाल पूछना चाहिए कि उसे अपने मजहब में इस्लाम रिफॉर्म्ड और जिद्दत पसंदी चाहिए या पिछली सदियों के बहशीपन का इकदार (वैल्यूज़)।"
भारतीय लिबरलों का आचरण इस बात को बल देता है कि आज इस्लामिक आतंकवाद के साथ वैचारिक कन्धा मिलाकर खड़ा होने में जिन्हें शर्म नहीं, वे भविष्य में सामरिक कंधा देने के लिए खड़े हो जाएँ तो आश्चर्य न होगा।
ये सभी ट्विटर के ब्लू टिक धारी एक्टिविस्ट हैं, जो रहते तो भारत में हैं लेकिन गुणगान तालिबान का करते हैं। तालिबान के प्रेस कॉन्फ्रेंस की PR मंडली से मिलिए।