टीवी चैनलों के एंकर जो कर रहे हैं, क्या वो प्रोपेगेंडा नहीं है। हर रात चालीस मिनट तक सरकार की हर योजना को बेकार बताना भी प्रोपेगेंडा ही है। आखिर चुनाव आयोग इसके लेवल प्लेइंग फ़ील्ड का निर्धारण करेगा कैसे? क्या मीडिया संस्थानों के लिए कोई तय क़ायदा है जहाँ चुनाव आयोग सुनिश्चित कर सके कि इतने मिनट इस पार्टी की रैली, और इतने मिनट इस पार्टी की रैली कवर की जाएगी?
सच्चाई यह है कि नमो फूड का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई लेनादेना नहीं है। वास्तव में, नोएडा में इस नाम का एक रेस्टोरेंट है। जैसा कि फूड सर्च वेबसाइट जोमेटो में भी देखा जा सकता है, नमो फूड के नोएडा में 1 नहीं बल्कि 4 आउटलेट्स हैं। यहीं से पुलिसकर्मियों के लिए लंच ऑर्डर किया गया था।
जिस समय राहुल गाँधी अपना नामांकन भरने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे उस दौरान उनके सिर पर 7 बार किसी ने हरी लेजर से निशाना साधा। कॉन्ग्रेस ने संभावना जताई कि यह लेजर लाइट किसी स्नाइपर की बंदूक से हो सकती है।
चंद्रशेखर का कॉन्ग्रेस को समर्थन देना दिखाता है कि वह केवल खुद को दलितों का हितैषी बताकर समाज में एक जाना-माना चेहरा बनकर उभरना चाहते थे। अब जबकि अस्पताल में भर्ती होने पर राज बब्बर और प्रियंका गाँधी जैसे बड़े लोग उनका हाल लेने पहुँच रहे हैं तो वो दलितों के मुद्दों को दरकिनार करके सिर्फ़ अपनी राजनीति साध रहे हैं।
पहले विवेक ओबरॉय अभिनीत मोदी फिल्म पर रोक लगवाने के बाद विपक्षी दलों को यह तर्क सूझा कि अगर फिल्म पर रोक लगवाई जा सकती है, तो फिर आदमी पर क्यों नहीं। इसके तुरंत बाद ही गिरोह सक्रिय हो उठा।
ठाकोर समेत तीनों विधायक 2017 के विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस के टिकट पर चुनकर आए थे। बीते कुछ समय से लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण को लेकर अल्पेश ठाकोर की कॉन्ग्रेस नेतृत्व से तनातनी चल रही थी। कई दिनों से वो कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़ने का भी इशारा कर रहे थे।
60 सालों तक राज करने वाली पार्टी की मजबूरी है कि वो सत्ता से दूर है, और यह दूरी रात-दिन बढ़ती जा रही है। सत्ता पाने की यही लालसा उससे नए-नए हथकंडे आजमाने का दुष्चक्र चलवाती है। लेकिन जब बड़े और नामी चेहरे भी इस धूर्तता का हिस्सा बनने लगते हैं तो अफ़सोस होता है।
कॉन्ग्रेस उम्मीदवार के पास टीवी-18 ब्रॉडकास्ट लिमिटेड के ₹3.52 लाख के शेयर हैं जिसके द्वारा CNBC-टीवी-18, CNBC आवाज, CNBC-टीवी 18 प्राइम HD, CNN-न्यूज 18, न्यूज 18 इंडिया और IBN लोकमत जैसे विभिन्न समाचार चैनल चलाए जाते हैं।
आम चुनाव से सिर्फ 2 दिन पहले इस इलाके की वोटर लिस्ट जारी की गई है। ऐसे में इतने कम समय में गलती में सुधार हो पाना अब मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन नजर आ रहा है।