"खान तीन माह से पुलिस के रडार पर था। उसने पहले भी कुछ अधिकारियों को पत्र लिखे थे। इसमें दावा किया था कि उसकी मॉं और भाई के आतंकवादियों से संपर्क हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।"
कमलनाथ के मंत्री पीसी शर्मा ने साध्वी प्रज्ञा के धरने की तुलना 'एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी' वाले कहावत से की है। उन्होंने आरोप लगाया कि गोडसे को महिमामंडित करने के कारण ही साध्वी प्रज्ञा को रक्षा सम्बन्धी संसदीय समिति में शामिल किया गया था।
दांगी ने कहा था कि यदि प्रज्ञा ठाकुर कभी मध्य प्रदेश आई तो उसका पुतला नहीं, बल्कि उसे पूरा का पूरा जिंदा जला देंगे। साध्वी ने उनके घर पहुॅंचने का ऐलान कर दिया है।
"सदन में मेरे द्वारा की गई किसी भी टिप्पणी से यदि किसी भी प्रकार से किसी को कोई ठेस पहुँची हो तो उसके लिए मैं ख़ेद प्रकट कर क्षमा चाहती हूँ। परंतु मैं यह भी कहना चाहती हूँ कि संसद में मेरे बयानों को तोड़मरोड़ कर ग़लत ढंग से पेश किया गया है, मेरे बयान का सन्दर्भ कुछ और था।"
कॉन्ग्रेसी विधायक गोवर्धन दांगी ने अपनी मर्दवादी सोच के तहत एक महिला सांसद को धमकी दे डाली - "प्रज्ञा ठाकुर कभी आई तो उसका पुतला नहीं बल्कि उसे पूरा का पूरा जिंदा जला भी देंगे।"
देश के राइट विंग की यही समस्या है कि उसे दीर्घकालिक युद्ध भी लड़ना है, लेफ्ट विंग की स्वीकार्यता भी चाहिए और अपनी नैतिकता भी बचानी है। तुमने न तो संदर्भ देखा, न सुनवाई की, बस विरोधियों के जाल में उलझ कर तुमने साध्वी प्रज्ञा को एक लाइन में नकार दिया। यही सब करना था तो उसे चुनाव क्यों लड़वाया?
सोचने वाली बात ये है कि आखिर साध्वी ने अपने बयान में गलत क्या कहा? उनकी बात किसी भी रूप में विवादित नहीं थी। क्योंकि जो उन्होंने बोला वो सांसद पद के संदर्भ में बोला। और ये बिलकुल सच है कि एक सांसद का कार्य कचड़ा या फिर शौचालय साफ़ करने का नहीं होता।
इससे पहले उन्होंने 14 जून को ज़िला कलेक्टर तरुण कुमार पिथोड़े को पत्र लिखकर रविवार (16 जून) को दोपहर में 2.11 मिनट पर जल समाधि की अनुमति माँगी थी। इसकी अनुमति न देते हुए भोपाल कलेक्टर ने उनकी सुरक्षा करने को कहा, जिससे बाबा की जानमाल को कोई हानि न पहुँच सके।
"साध्वी प्रज्ञा की भाजपा से उम्मीदवारी ‘भगवा या हिन्दू आतंकवाद की अवधारणा' के खिलाफ भाजपा का सत्याग्रह है।" लोकसभा उम्मीदवार घोषित होने के पहले साध्वी प्रज्ञा ने भी एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘मैं धर्मयुद्ध के लिए तैयार हूँ।''
कोर्ट ने इन तीनों को पेशी से छूट तो दी ही इसके अलावा आरोपियों के वकीलों को विस्फ़ोट वाली जगह पर जाने की अनुमति भी दी। ग़ौरतलब है कि मालेगाँव में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे।