कॉन्ग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि वे हमेशा सोचते हैं कि अगर अमेरिका में मुंबई जैसा हमला होता तो वह पाकिस्तान का बुरा हाल करता। मनमोहन सरकार ने 26/11 के बाद वैसी सख्ती नहीं दिखाई थी, जिसकी उस वक़्त दरकार थी।
भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साफ़ कर दिया है कि यह निर्णय किसी राजनेता का नहीं बल्कि गृह मंत्रालय का है और नियमानुसार ही हुआ है। नड्डा ने कहा कि किसी भी नेता के 'थ्रेट परसेप्शन' को देखते हुए मंत्रालय तय प्रोटोकॉल के तहत निर्णय लेता है।
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होते ही कॉन्ग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुँच गए। इसके बाद डीएमके के सदस्य भी कॉन्ग्रेस के समर्थन में आसन के समीप पहुँच कर नारेबाजी करने लगे।
हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की 18 अक्टूबर को निर्मम हत्या कर दी गई थी। सोनिया को पत्र लिखने वाले जमीयत ने इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपितों के परिजनों से मुलाकात कर मदद का भरोसा दिलाया था।
पुलवामा और उरी के हमले अगर इंदिरा सरकार के समय में हुए होते, तो भी पाकिस्तान को कमोबेश वैसा ही जवाब मिलता, जैसे मोदी ने दिया। लेकिन वही 26/11 के बाद, बनारस, दिल्ली से लेकर मुंबई, हैदराबाद और दंतेवाड़ा अनेकों बम धमाकों के बाद भी यूपीए सरकार ने लचर रुख अख्तियार किया।
जब शरद पवार से पूछा गया कि क्या सोनिया गाँधी महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ मिल कर सरकार गठन करने के ख़िलाफ़ हैं, पवार ने कहा कि सरकार गठन को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि किसी अन्य तीसरे दल के बारे में चर्चा हुई ही नहीं।
शिवसेना हिन्दुत्व के एजेंडे से पीछे हटने को तैयार है फिर भी सोनिया दुविधा में हैं। शिवसेना को समर्थन पर कॉन्ग्रेस के भीतर भी मतभेद है। ऐसे में एनसीपी सुप्रीमो के साथ उनकी आज की बैठक निर्णायक साबित हो सकती है।
बाल ठाकरे की पुण्यतिथि पर सरकार बनाने का उद्धव का सपना नहीं हुआ पूरा। सोनिया गॉंधी के रुख ने बढ़ाई परेशानी। पुणे में पार्टी नेताओं से चर्चा कर आगे की रणनीति बनाएँगे शरद पवार।