"अगर मैं दिल्ली दंगों में जाऊँगी तो मेरी पहचान हिन्दू बताई जाएगी... क्योंकि मैं हिन्दू हूँ, तो शायद दिल्ली पुलिस मेरे ऊपर शायद उस हक़ से लाठी नहीं मारेगी, जिस बर्बरता और हक़ से उसने एक मुस्लिम पर लाठी चलाई है।"
कोर्ट में सोनिया गाँधी, राहुल गाँधी, प्रियंका गाँधी के उन बयानों को पढ़कर सुनाया गया, जिसमें उन्होंने CAA का विरोध करने के लिए सड़क पर उतरने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि कॉन्ग्रेस इस तरह का विरोध करने वाले लोगों के साथ खड़ी है।
वामपंथियों के पास मूर्खों को छोड़ कर और कोई होता भी नहीं। या और गहरे उतरें तो यह कहना भी शास्त्रोचित है कि वामपंथी मूर्ख ही होते हैं। ये बात और है कि उन्हें अंत काल तक अपने मूढ़मति होने का पता नहीं चल पाता।
अक्ल वितरण के कुछ दिन बाद अचानक 'इंटरनेट लिबरल्स' बिरियानी बाग़ में धरना देते देखे गए। जब पत्रकार उन तक पहुँचे तो लेफ्ट-लिबरल्स गिरोह ने कहा- "हमारा मकसद नागरिकता कानून नहीं, बल्कि कॉमन सेन्स और अक्ल वितरण में किया गया पक्षपात का विरोध है।"
एक यूजर ने तो पूरे गैंग की ही पोल खोल दी और लिखा, "JNU वालों में ये ख़ास खूबी है कि ये जो चीज नहीं होती उसे भी देख लेते हैं, जैसे नकाब के पीछे ABVP 'गुंडे', बिना ड्राफ्ट के NRC...।"
उन्होंने कहा कि एनआरसी में कई डरावने प्रावधान हैं। जब उनसे पूछा गया कि एनआरसी के ड्राफ्ट कहाँ हैं तो स्वरा भास्कर ने कहा कि ये सब देखना मेरा काम नहीं है। मतलब बिना ड्राफ्ट आए ही स्वरा को पता चल गया कि एनआरसी में डरावने प्रावधान हैं।
कुणाल कामरा किसी का कहीं भी उत्पीड़न कर सकता है। क्योंकि दो लोगों ने जामिया नगर और शाहीन बाग़ में हवाई फायरिंग कर दी। इसीलिए, हजारों-लाखों मौतों का जिम्मेदार इस्लामी और नक्सल आतंकवाद भी जायज हो जाता है।
"मुस्लिमों को हमेशा काले रंगों में डार्क लाइटिंग के साथ दिखाया गया। जबकि हिंदुओं को रोशनी और रंगीन कपड़ो में। ये बेहद शर्मनाक और खतरनाक है। हम ऐसी फिल्मों के जरिए अपने बच्चों को जाहिल बना रहे हैं।"