विजयवाड़ा के सीताराम मंदिर में देवी सीता की मूर्ति खंडित पाई गई थी। उससे पहले विभिन्न मंदिरों में भगवान गणेश, राम, वेंकटेश और सुब्रमण्येश्वर स्वामी की प्रतिमाओं को नुकसान पहुँचाया गया था।
हर राष्ट्र में कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से होता है और अल्पसंख्यकों को उसी दायरे के अनुकूल बनना पड़ता है। यहाँ हमेशा उल्टा होता आया है क्योंकि सर्वसमावेशन और सहिष्णुता की बात सिर्फ हिन्दुओं की ही जिम्मेदारी बन गई है।
वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश चैप्टर द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मई 2020 में ही हिंदुओं के 10 मंदिरों को तोड़ दिया गया। मूर्तियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।
केवल इतिहासकार नहीं, बल्कि 'मस्जिद' के भीतर रखा गया 11वीं शताब्दी का शिलालेख भी इस बात को संदर्भित करता है कि पहले ये 'मस्जिद' इंद्रनारायण का मंदिर था। लेकिन राज्य सरकार की तुष्टिकरण वाली ऐसी क्या मजबूरी कि वो सच बोलने से बचती है?
कुछ दिन पहले ही ननकाना साहिब गुरुद्वारे पर हुई पत्थरबाजी की निंदा पूरे विश्व में हुई थी। इससे पहले सितंबर 2019 में भी सिंध में ही एक और हिंदू मंदिर में कट्टरपंथियों ने तोड़फोड़ की थी।