प्रधानमंत्री ने अपनी कथनी और करनी में भेद न करते हुए देश की जनता को यह दिखा दिया कि उन्हें वास्तव में देश के हित-अहित की चिंता है। इसी का नतीजा एयरस्ट्राइक के रूप में पूरी दुनिया ने देखा।
क्या इमरान नहीं जानते कि जैश-ए-मोहम्मद के बाक़ायदा बोर्ड लगे हुए हैं पाकिस्तान में? फिर ये दोगलों जैसी बातें क्यों करता है इमरान? स्वीकार लो कि तुम एक नकारा प्रधानमंत्री हो, जिसके हाथ में न तो सत्ता है, न आर्मी है और न ही वो तमाम आतंकी जो तुम्हारी बात सुनते हों।
आतंकवाद पर लगाम लगाने को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की बड़ी जीत हुई है। तीनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जो घोषणापत्र जारी किया गया, उसमें आतंकवाद और आतंकी ठिकाने नष्ट करने का स्पष्ट संदेश दिया गया।
हमारे देश के आम नागरिकों पर 2004 से 2014 के बीच कई बार हमले हुए मगर तब राजनैतिक इच्छाशक्ति ऐसी थी ही नहीं कि नागरिकों को बचाने का सशस्त्र बलों को कोई आदेश दिया जाता। अब हालात बदल गए हैं।
एक तरफ पीएम इमरान खान की आपात बैठक के बाद वहाँ की फौज और विदेश मंत्री की तरफ से बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं, तो दूसरी तरफ LOC पर पाकिस्तानी फौज ने अकारण गोलीबारी शुरू कर दी है।
चुनाव आने वाले हैं महबूबा जी, आपकी भी मजबूरी होगी आतंक और आतंकियों को प्रश्रय देना, लगातार उनके पक्ष में बयान देना। शायद आपको भी शांति अच्छी नहीं लगती होगी?
"पाकिस्तान को कई बार सबूत दिए गए। लेकिन आतंकी संगठनों के खिलाफ उनकी ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। पाकिस्तान के रुख को देखते हुए हमने यह रणनीति तैयार की।"
अब वामपंथी मीडिया गिरोह के धूर्त पत्रकारों का इंतजार है कि वो कैसे हमें ज्ञान देते हैं कि 'जब पाकिस्तान शांति के लिए हाथ बढ़ा रहा है, तब हम उस पर हमला क्यों कर रहे हैं'।
इस फैसले से नक्सल प्रभावित राज्यों और जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के 88,000 से अधिक जवानों और अधिकारियों को फायदा मिलेगा। इस से पहले केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के श्रीनगर जाने-आने के लिए हवाई यात्रा की व्यवस्था करने का निर्णय लिया था।