भारत के गौरवशाली इतिहास का एक हिस्सा कई सालों से वर्तनी की त्रुटि के कारण दबा हुआ है। जिन पांडवों ने भारतवर्ष को इंद्रप्रस्थ दिया, उसी इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) में उनका नाम कहीं भी नहीं है। और यह हुआ अंग्रेजी के v और r लेटर्स के कारण।
कॉन्ग्रेस शासनकाल में कई भीषण दंगे हुए, जिनको लेकर उन पर सवाल नहीं दागे गए। भाजपा शासनकाल में देश अपेक्षाकृत शांत है और ऐसी घटनाओं में कमी आई है। अगर हम 2011-2013 की बात करें तो उस दौरान भी कॉन्ग्रेस शासित राज्य सांप्रदायिक हिंसा की चपेट में सबसे ज्यादा थे।
"मैं रूस से आए निमंत्रण के बाद अपनी नानी के साथ ताशकंद गया, जब मैं उनके कमरे में गया (जहाँ शास्त्रीजी की मृत्यु हुई थी) तो मुझे पता चला कि उनके कमरे में एक घंटी तक नहीं थी। सरकार ने झूठ बोला था कि उनके कमरे में कई फोन थे। क्यों?"
जब आपातकाल के बाद देव आनंद की अध्यक्षता में बनी थी बॉलीवुड की अपनी राजनीतिक पार्टी। जानिए क्या हुआ इसके बाद। राजनारायण ने क्यों जोहर के हाथ-पाँव तोड़ने की धमकी दी थी? क्या हुआ नेशनल पार्टी का और क्यों अकेले पड़ गए थे देव आनंद?
कहते हैं कि हवा में गुलाल और गुलाबजल का ऐसा सम्मिश्रण घुला होता था कि उस समय रंगीन तूफ़ान आया करते थे। ये सिख सम्राट का ही वैभव था कि उन्होंने सिर्फ़ अंग्रेज अधिकारियों को ही नहीं रंगा बल्कि प्रकृति के हर एक आयाम को भी रंगीन बना देते थे।
कश्मीर में अलगाववाद को बल मिलता है पैन-इस्लामिज़म से, जो खिलाफत आंदोलन के या उससे भी पूर्व के उस विचार से प्रभावित है, जिसमें दुनिया के सभी मुस्लिमों को राष्ट्रीय सीमाओं से परे एक झंडे के नीचे खड़े होने को अपना आदर्श मानता है।
प्रतिरोध की सबसे लम्बी परम्परा होने, पूर्व की ओर बढ़ते रेगिस्तानी लुटेरों, उपनिवेशवादियों, मजहबों को राजनैतिक विचारधारा का नकाब पहनाए आक्रमणकारियों के खिलाफ सबसे लम्बी आजादी की लड़ाई जारी रखने वाली गौरवशाली सभ्यता होने पर गर्व करना तो बनता ही है!
सैयद अहमद शाह ने राजा रणजीत सिंह द्वारा अज़ान और गौतस्करी पर प्रतिबंध लगाने की बात सुनकर जिहाद की घोषणा कर दी थी। जिस समय पर बरेलवी बालाकोट पहुँचा उस समय उसके साथ 600 जिहादी थे और पेशावर के हज़ारों पठानों द्वारा भी उसे समर्थन दिया जा रहा था।