पिछले 1 वर्ष में नूपुर शर्मा और तस्लीम रहमानी के जीवन का जो अंतर है न, वही मोहम्मद जुबैर जैसे 'डिजिटल जिहादियों' की सफलता है। कन्हैया लाल तेली और उमेश कोल्हे का गला रेता जाना और 1 वर्ष बाद भी हत्यारों को सज़ा न मिलना, यही इन 'डिजिटल जिहादियों' का उत्साहवर्धन है।
मालदास स्ट्रीट बाजार की गलियों में लगभग 300 दुकानें हैं जहाँ लोगों का हुजूम उमड़ता था, लेकिन अब सन्नाटा ही यहाँ की तस्वीर है। पत्नी दिवंगत पति की सिलाई मशीन को निहारती रहती हैं।