प्राइम टाइम देखना फिर भी जारी रखूँगा, क्योंकि मुझे गर्व है आप पर कि आप लोगों की भलाई सोचते हैं। बीच में किसी दिन थूकने वालों और वार्ड में अभद्र व्यवहार करने वालों पर भी प्राइम टाइम कीजिएगा। और हाँ! इस काम के लिए निधि कुलपति जी या नग़मा जी को मत भेज दीजिएगा। आप आएँगे तो आपका देशप्रेम सामने आएगा, और उसे दिखाने में झिझक क्यूँ?
इस ख़बर के सामने आने के बाद जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी ने इसे नकार दिया। अमेरिका के मेरीलैंड में स्थित यूनिवर्सिटी ने स्पष्टीकरण जारी करते हुए बताया कि उसने ऐसा कोई रिसर्च प्रकाशित नहीं किया है। यूनिवर्सिटी ने लिखा कि इस कथित 'रिसर्च' में उसके लोगो और नाम का भी ग़लत इस्तेमाल किया गया है।
NDTV के एंकर ने ट्वीट कर बताया है कि जुकाम होने के बाद वे पिछले 3 दिनों से सेल्फ आइसोलेशन में हैं। वे अपने परिवार के सदस्यों से 15 फीट की दूरी बनाकर रख रही हैं। हालॉंकि उनके टेस्ट की रिपोर्ट अभी नहीं आई है।
लिबरल-सेकुलरों ने तुरंत कहना शुरू किया कि इटली में लॉकडाउन था, गुरुग्राम में नहीं हैं। इसलिए लाउड स्पीकर लगाकर हिंदू मंत्रो का उच्चारण केवल एक स्टंट हैं। जबकि कुछ ने ये शिकायत की कि ये लोग सिर्फ़ हिंदू मंत्रों को लाउड स्पीकर पर बोलकर लोगों को तंग कर रहे हैं।
NDTV की भ्रामक हेडलाइन देखकर, लोग बाबा रामदेव को अनाप-शनाप बोलने लगे। एक यूजर ने तो ये तक लिखा कि जहाँ कोरोना पीड़ित हैं, वहाँ पर बाबा को योग के लिए भेजना चाहिए। अब आखिर एनडीटीवी को यही सब तो चाहिए था! हेडलाइन के साथ खेल कर उसने प्रोपेगेंडा के अपने स्तर को बनाए रखा।
NDTV की निधि राजदान 'Kashmirosint' नामक ट्विटर हैंडल से अक्सर बातचीत किया करती थीं। अब सामने आया है कि ये ट्विटर अकाउंट आतंकवादियों द्वारा संचालित किया जाता था और इसके द्वारा प्रोपेगंडा व फेक न्यूज़ फैलाया जाता था। दिल्ली दंगों में भी इसका इस्तेमाल किया गया।
राह चलते किसी को पकड़ लो। उससे कुछ बुलवा दो। फिर उसे TV पर दिखाओ... और किसी को बदनाम कर दो। जब हंगामा हो तो सोशल मीडिया पर चुपके से एक ट्वीट डाल दो। - यह NDTV का फॉर्मूला है। दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दंगों में कपिल मिश्रा को बदनाम करने के लिए भी यही तरीका अपनाया NDTV ने, लेकिन दाँव उल्टा पड़ गया - बहुत गाली पड़ रही है।
NDTV का रिपोर्टर, कैमरा और माइक - सामने खड़ा संजय गुप्ता नाम का एक आदमी। इस आदमी के अनुसार कपिल मिश्रा के 'भड़काऊ' भाषण के बाद हिंसा भड़की। लेकिन असली खबर इसके बाद है। NDTV इस आदमी को कपिल मिश्रा का मकान मालिक बताता है, जबकि सच्चाई यह है कि संजय नाम को कोई भी शख्स कपिल मिश्रा का कभी भी मकान मालिक नहीं रहा।
'द वायर' ने इन दोनों स्कूलों को लेकर अपनी 'ग्राउंड रिपोर्टिंग' में झूठ फैलाया है। प्रोपेगंडा पोर्टल ने दावा किया है कि दोनों स्कूलों के मालिक समुदाय विशेष से ही हैं। बता दें कि डीआरपी स्कूल के ओनर पंकज शर्मा हिन्दू हैं।
पोस्ट में पहले रवीश कुमार लादेन कि फोटो को फोटोशोप बता रहे थे। अंत में रवीश कुमार ने पाठकों के लिए नोट में लिखा कि यह पोस्ट अब अपडेट कर ली गई है। इस बीच जो 5 बार एडिटिंग की गई - असली खबर यहीं छुपी है और मजेदार भी - सब स्क्रीनशॉट में कैद कर लिया गया है।