कुजूर का राज्यसभा सांसद के रूप में कार्यकाल इस साल जून में समाप्त हुआ था। पार्टी को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है, “मैं तुरंत प्रभाव से पार्टी की सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूंँ। यह पूरी तरह मेरा निजी फ़ैसला है।”
देश की सबसे पुरानी पार्टी में अध्यक्ष पद पर इतनी माथापच्ची तब हो रही है जब राहुल गॉंधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के तत्काल बाद इस्तीफे की पेशकश कर दी थी। मान-मनौव्वल से भी वे नहीं माने और तीन जुलाई को अपना इस्तीफा सार्वजनिक कर दिया। इसके बाद वयोवृद्ध मोतीलाल वोरा को अंतरिम अध्यक्ष बनाने की खबर आई जिसे वोरा ने खुद नकार दिया।
"एक नेता अपने लिए बोकारो और बेटे के लिए पलामू से सीट चाहते हैं। एक नेता को भाई के लिए हटिया सीट चाहिए। दूसरा नेता घाटशिला से बेटी के लिए और खूंटी से खुद के लिए सीट चाहता है। एक अन्य नेता जामताड़ा से बेटे के लिए और मधुपुर से बेटी के लिए सीट चाहते हैं।"
दुबे द्वारा वीडियो नहीं हटाने और माफी नहीं माँगने पर ब्लॉक कॉन्ग्रेस अध्यक्ष समेत अनेक महिला नेताओं ने पुलिस से शिकायत की। इसके बाद दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
पार्टी की सुप्रीम कोर्ट, मानवाधिकार और आरटीआई यूनिट ने प्रेस नोट जारी कर इस मामले पर अलग स्टैंड दिखाया है। प्रेस नोट में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 एक आस्थायी प्रावधान था और इसे हटाकर केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का सही मायनों में भारत के साथ विलय कर दिया है।
कॉन्ग्रेस के विरोध को लेकर नकवी ने कहा, "यह नया नहीं हैं। जब सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट में एयर स्ट्राइक हुआ था तब पाकिस्तान के साथ-साथ यहॉं भी कुछ लोग इसके सबूत मॉंग रहे थे। कॉन्ग्रेस के लोगों की यह हालत देख निराशा होती है।"
राहुल गाँधी ने प्रणब मुखर्जी को बधाई देने के लिए यहाँ तक कि एक ट्वीट भी नहीं किया है। हाल ही में एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार को मैगसेसे अवॉर्ड मिला था, तब राहुल ने उन्हें ट्वीट कर बधाई दी थी।
संसद में उन्होंने कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा बताया था, लेकिन अब मीडिया के सामने वह इसे भारत का आंतरिक मुद्दा बता रहे हैं (जो कि सही है और भारत का स्टैंड भी है)। आख़िर अधीर रंजन को ये समझने में इतने दिन क्यों लग गए?
जम्मू कश्मीर के 100 से अधिक नेता व अलगाववादी पहले से ही नजरबन्द किए जा चुके हैं ताकि जनता को भड़काने की कोई भी कोशिश सफल न हो सके। आशंका जताई गई है कि गुलाम नबी आजाद के पहुँचने के बाद विपक्षी नेता जनता को उकसा सकते हैं।
आम धारणा यही है कि जम्मू-कश्मीर पूरी तरह भारत में घुलमिल नहीं पाया तो इसकी वजह नेहरू की नीतियॉं थी। मोदी सरकार ने कॉन्ग्रेस को इससे पीछा छुड़ाने का मौका दिया। पर अफसोस, कॉन्ग्रेस न विपक्ष का धर्म निबाह पाई न राष्ट्रधर्म। उलटे खुद के वजूद के लिए नया संकट खड़ा कर लिया।