मंदिर के तोड़े जाने का एक महत्वपूर्ण प्रमाण 'मा-असीर-ए-आलमगीरी’ नाम की पुस्तक भी है। यह पुस्तक औरंगज़ेब के दरबारी लेखक सकी मुस्तईद ख़ान ने 1710 में लिखी थी।
ज्ञानवापी मसले पर 'काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद' के अध्यक्ष नागेंद्र पांडे ने कहा, "बाबा विश्वेश्वर की मूर्ति मिल गई है तो ये वजूखाना कैसे हो सकता है।"