राहुल गाँधी के सलाहकार रह चुके अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने किसान आंदोलन पर अपनी राय रखी है। गुरुवार को बनर्जी ने कहा कि किसानों का मुद्दा कानून की विषयवस्तु के बारे में कम है, विश्वास के बारे में अधिक है।
“जिन लोगों की राजनीति अफवाहों पर आधारित है, वे किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कोशिशों से केंद्र-किसान वार्ता बाधित हो रही है और देश का माहौल बिगड़ रहा है।"
“समस्या यह है कि पूरा तंत्र ऐसा बना हुआ है जिसमें देश विरोधी ताकतों को फलने-फूलने का मौक़ा मिलता है। इस भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध हमारी संख्या बहुत कम है लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ कि एक न एक दिन बदलाव आएगा।"
भारतीय किसान यूनियन की याचिका में माँग की गई है कि कृषि सुधार क़ानूनों से संबंधित पूर्व याचिकाओं पर सुनवाई हो। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि क़ानून कृषि क्षेत्र को निजीकरण की तरफ लेकर जाएँगे।
किसानों के आंदोलन के नाम पर 'अन्नदाता' कह-कह कर खूब इमोशनल ब्लैकमेल चल रहा है। जबकि वहाँ खालिस्तानी समर्थक और दिल्ली के दंगाइयों को समर्थन देने वाले वामपंथियों का जुटान हो रखा है।
पहले सांसद कानून बनाते थे, तो अभी भी वही बनाएँगे, ये कहीं से भी उचित नहीं है। अच्छी बात तो यह होगी कि किसान अपने कानून स्वयं बनाए, आतंकी UAPA में संशोधन करे, डॉक्टर निजी प्रैक्टिस पर बिल बनाएँ।