जिस तरह की पार्टी है, और जैसे चाटुकार लोग हैं, वो लोगों की गालियों वाले ट्वीट को भी 'चर्चा में तो हैं हमलोग' मानकर निकल ले रहे हैं। मालिक तो पहले ही मूर्ख है, वो तो पेपर देखकर पढ़ नहीं पाता, उसको कुछ भी कह दो, क्या फ़र्क़ पड़ता है!
मोदी विरोध के लिए देश की उपलब्धियों को झुठलाने वाली कॉन्ग्रेस व विपक्षी दल फिर कटघरे में हैं। आज नहीं कल, लोग उनसे हिसाब माँगेंगे और पूछेंगे कि देश को मजबूत बनाने वालों की संदिग्ध मौत और भारत को असुरक्षित बनाने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी के इतिहास में इतने ब्लैक होल क्यों हैं?
चाको और चाको टाइप्स चिरकुट लोग, भूल चुके हैं कि समय बदल गया है और गाँधी चालीसा का पाठ उन्हें सोनिया और राहुल की नज़र में तो 'अले मेला बच्चा' तक तो पहुँचा देगा लेकिन भारत की जनता से नहीं बचाएगा जिसने नेहरू और नकली गाँधियों के कुकर्मों को लगातार झेला है।
गुजरात हाईकोर्ट ने हार्दिक पटेल के चुनाव लड़ने के अरमानों पर पानी फेरते हुए उनके खिलाफ फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी है।
खानदान विशेष के एहसानों और पुरस्कारों के बोझ तले दबा यह मीडिया गिरोह 2014 में सवाल नहीं पूछ पाया था, शायद तब तक कभी गाँधी परिवार ने इसे एहसास भी नहीं होने दिया था कि मीडिया का काम सवाल पूछना भी हो सकता है। सवाल पूछ पाने की यह वैचारिक क्रांति इस मीडिया गिरोह में 2014 के बाद ही देखने को मिली है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक डेमोक्रेट भी थे, वो कम से कम लोगों की सुनते थे जबकि नरेंद्र मोदी जी शुरू से ही कॉन्ग्रेस-मुक्त भारत का सपना देख रहे हैं।
अमेठी के मुसाफिरखाना कस्बे में लगे पोस्टर में लिखा गया है, "देख चुनाव पहन ली सारी, नहीं चलेगी होशियारी।" इन पोस्टर पर सपा छात्रसभा का नेता जयसिंह प्रताप यादव का नाम लिखा हुआ है।
"शारीरिक रूप से भले ही कॉन्ग्रेसी कार्यकर्तागण अपनी पार्टी के लिए प्रचार-प्रसार करें लेकिन मानसिक रूप से वो सभी मेरे साथ हैं। वो मुझे फोन करके बताते हैं कि मैं लोकसभा चुनाव जरूर जीतूँगा। उनका कहना है कि वह मेरे साथ हैं।"
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से जुड़े अधिकारियों ने छापा मारा, वहाँ बड़ी संख्या में ऐसी चिट्ठियाँ मिलीं और इसके बाद अधिकारियों ने उस कमरे को सील किया।
केजरीवाल उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के रोहिणी में एक जनसभा में कहा, "मुझसे लोग पूछते हैं कि अगर शीला जी ऐसे (बिना पूर्ण राज्य के दर्जे के) सरकार चला सकतीं हैं, तो आप क्यों नहीं?’