जाँच कर रही टीम को तबलीगी जमात के कई सदस्यों ने बताया कि उन्हें मार्च के मध्य में अलमी मरकज बंगलेवाली मस्जिद के मजहबी कार्यक्रम में भाग लेने से पहले उन्हें ठहरने, भोजन और अन्य खर्चों के लिए भुगतान किया गया था।
क्राइम ब्रांच फिलहाल मरकज में जाँच- पड़ताल शुरु कर चुकी है। मरकज के अंदर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं मिला। साथ ही मरकज से जुड़े लोग भी सहयोग नहीं कर रहे। इससे पहले पुलिस ने मरकज प्रशासन से जानकारी माँगी थी कि 13 मार्च के बाद मरकज में जो लोग आए थे, उनका उपस्थिति रजिस्टर दिया जाए।
फरवरी में यह बात सामने आई थी कि सीमा रिज़वी पर हमले के आरोपों में सफूरा ज़रगर समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। रिज़वी ने अपनी शिकायत में कहा था कि जामिया मस्जिद के नजदीक कुछ प्रदर्शनकारियों ने उसे रोक लिया था। आरएसएस का एजेंट बताते हुए हमला किया था।
निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात के मरकज में हर रोज देश और विदेश से 4 से 5 हजार लोग इकट्ठा होते थे। यहाँ आने वाले लोगों से उनके देश और उनके उद्देश्य के बारे में पूछा जाता था। इसके बाद जो लोग जमात के लिए आते थे उन लोगों को मरकज में रोका जाता था।
मामले की जाँच के लिए पुलिस परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाल सकती है। इस क्वारंटाइन सेंटर में 200 लोगों को रखा गया है, जो कि दिल्ली मरकज से जुड़े हुए हैं।
कोरोना के मद्देनजर क्वारंटाइन किए गए लोगों के फोन नंबर एसएचओ को मुहैया कराया गया था। जिनका इस्तेमाल क्वारंटाइन किए गए लोगों की मूवमेंट जानने के लिए किया गया।
“जब मेरी पत्नी को प्रसव पीड़ा हुई तो मैंने 108,102,1031 आदि कई हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया। मगर संपर्क नहीं हो सका। इसके बाद मैंने दिल्ली पुलिस को कॉल किया, जो 20 मिनट में हमारे पास पहुँची और हमें अस्पताल ले गई।"