दयालपुर थाने में अजय गोस्वामी ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि ताहिर हुसैन के मकान से गोलियॉं चल रही थी। पत्थरबाजी और पेट्रोल बम भी फेंके जा रहे थे। पुलिस उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी करने की भी तैयारी कर रही है।
शाहरुख ने जिस पिस्टल से जाफराबाद में फायरिंग की थी वह मुंगेर से मँगाई थी। उसका ननिहाल बरेली में है। वहॉं के ड्रग तस्करों से उसके अब्बा और उसकी अम्मी इन्नो के अच्छे ताल्लुकात हैं। इसी वजह से वह छिपने के लिए बरेली चला गया था।
ताहिर 15 से ज्यादा लोगों के साथ अपने घर में घुसते दिख रहा है। इन सबके हाथ में पिस्टल है। उसके पीछे सैकड़ों दंगाइयों के चलने का फुटेज भी सामने आया है। इन दंगाइयों के हाथ लाठी-डंडे और तबाही के अन्य सामान हैं।
हिंदुओं के डर के 5 खौफनाक सबूत - 1) हिंदू विरोधी हिंसा में मारे गए राहुल ठाकुर का सुनसान बृजपुरी इलाका 2) शिव विहार में मारे गए आलोक तिवारी के परिवार की FIR से मनाही 3) गायब हुए धर्मेन्द्र की गली में लटके ताले 4) जोहरीपुर में माथे में ड्रिल घुसे विवेक की माँ का बात करने से इंकार 5) जाफराबाद से किराएदारों का पलायन!
दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों में व्यस्त होने का फायदा उठा शाहरुख़ पुलिस को चकमा दे निकल भागा था, अब उसके पिता और भाई के भी फरार हो जाने की खबरें आ रही हैं।
जहाँ भी उन्हें लगा कि बीमा और सरकारी मुआवजे का लाभ मिल सकता है, वहाँ दुकान से दो फर्नीचर बाहर निकाले और खुद ही लगा दी आग। उनकी तैयारी इतनी तगड़ी थी कि दूसरे मजहब के लोग अपने बच्चों को काफ़ी पहले ही स्कूल से ले गए और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचा दिया था।
"दंगाइयों ने फिर से दुकान पर धावा बोल दिया। पहले तो दुकान में जमकर लूटपाट की ओर फिर देखते ही देखते उसे आग के हवाले कर दिया। इसी बीच पता चला कि गोदाम में रहने वाले हमारे कर्मचारी दिलबर नेगी के हाथ पैर काट कर उसे मार दिया गया।"
"इन सबको पता था कि आगे क्या होने वाले वाला है। हमारे बराबर में एक मात्र मुस्लिम व्यक्ति का बाइक का शोरूम है। इलाके में हिंसा फैलने से पहले ही 26 फरवरी को सुबह 5 बजे ही उसने सभी बाइकों को शोरूम से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया। फिर खुद को पीड़ित दिखाने के लिए पहले तो शोरूम में तोड़फोड़ की और फिर...
"हज़ारों दंगाइयों की चपेट में आकर एक मजहबी दंगाई की भी मौत हो गई। लेकिन दंगाई उसे उठाकर अस्पताल नहीं ले गए बल्कि अपने घर ले गए। 24 घंटे तक घर में दंगाई युवक का शव रखा रहा। जैसे ही केजरीवाल सरकार ने दंगों में मारे गए लोगों को मुआवजा देने की घोषणा की, वैसे ही..."
आसपास के माहौल को शांत देख कर नितिन ने घर से बाहर पैर तो रखा, लेकिन दंगाइयों से अपनी जान बचा पाने में असफल रहा। उसे गोली लगी या पत्थर... किसी को कुछ नहीं पता। लेकिन जब उसे अस्पताल ले जाया गया तब वो जिंदा था, मगर सिर में चोट इतनी गहरी थी कि वो 3-4 घंटे में ही जिंदगी की जंग हार गया।